मनसे के नेता राज ठाकरे ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया है जो महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति को बदल सकता है। उन्होंने कहा कि वह अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे के साथ एकजुट होने के विचार के खिलाफ नहीं हैं। उद्धव ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके बीच कभी कोई विवाद नहीं रहा। राज ने यह स्पष्ट किया कि उनके राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन अगर यह महाराष्ट्र के हित में है, तो एकजुट होना आवश्यक है।
राज ठाकरे ने कहा कि ठाकरे परिवार के बीच का झगड़ा महाराष्ट्र के हितों की तुलना में महत्वहीन है। उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र के हितों के सामने हमारे झगड़े कुछ भी नहीं हैं।" उनका मानना है कि एकजुटता के लिए इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इन विवादों की कीमत मराठी लोगों को चुकानी पड़ रही है। राज ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि एकजुट होने में कोई समस्या होनी चाहिए। यह केवल उनकी इच्छा का मामला नहीं है, बल्कि इसे बड़े परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए।
उद्धव का दृष्टिकोण
उद्धव ठाकरे ने राज के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी राज से लड़ाई करने का विचार नहीं किया। उन्होंने कहा कि जो भी विवाद था, उसे भुला दिया गया है। लेकिन उन्होंने यह भी पूछा कि क्या राज बीजेपी के साथ जाएंगे या राज्य के हित में काम करेंगे। उद्धव ने कहा कि वह छोटे विवादों को नजरअंदाज करने के लिए तैयार हैं, लेकिन अगर राज ने लोकसभा चुनाव के लिए एकजुट होने का प्रस्ताव स्वीकार किया होता, तो आज वे सरकार में होते।
राज ठाकरे का शिवसेना से बाहर निकलना 2005 में महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। राज को बाल ठाकरे की विरासत का स्वाभाविक उत्तराधिकारी माना जाता था, लेकिन पार्टी के अंदरूनी ढांचे में उद्धव को प्राथमिकता दी गई। इससे राज ने अपने चाचा की पार्टी से किनारा कर लिया और मार्च 2006 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) की स्थापना की। तब से उनके बीच मतभेद बने हुए हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी के साथ उनके रिश्ते में भी तनाव है।