जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत वादियों में बसे पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस चरमपंथी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, और कई अन्य घायल हुए। इस दुखद घटना के बाद भारत सरकार ने त्वरित और कड़े कदम उठाए हैं, जो भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नए मोड़ का संकेत दे रहे हैं। नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई उच्च-स्तरीय बैठक में लिए गए फैसलों ने साफ कर दिया है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रहा है।
सुरक्षा मामलों की बैठक: कड़े फैसलों का दौर
प्रधानमंत्री आवास पर आयोजित सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) की बैठक में देश के शीर्ष नेता और अधिकारी एकत्र हुए। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने हिस्सा लिया। लगभग ढाई घंटे तक चली इस बैठक में पहलगाम हमले की गहन समीक्षा की गई और कई ऐतिहासिक फैसले लिए गए। इनमें सबसे बड़ा फैसला था 1960 में हुए सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से निलंबित करना, जो पाकिस्तान के लिए जल संसाधनों का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसके साथ ही, अटारी-वाघा बॉर्डर को भी बंद करने का आदेश दिया गया, जो दोनों देशों के बीच व्यापार और आवागमन का प्रमुख रास्ता है।
सिंधु जल समझौता निलंबन: पाकिस्तान पर बड़ा दबाव
सिंधु जल समझौता, जिसके तहत भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी का बंटवारा होता है, दशकों से दोनों देशों के बीच एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। इस समझौते के निलंबन से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और कृषि पर गहरा असर पड़ सकता है, क्योंकि वह अपने जल संसाधनों के लिए इन नदियों पर बहुत अधिक निर्भर है। भारत का यह कदम न केवल कूटनीतिक, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, जो आतंकवाद को प्रायोजित करने वालों को सख्त संदेश देता है। अटारी बॉर्डर के बंद होने से दोनों देशों के बीच सीमित व्यापारिक गतिविधियां भी ठप हो जाएंगी, जिससे पाकिस्तान पर और दबाव बढ़ेगा।
पहलगाम हमला: दहशत की एक और कोशिश
पहलगाम की बेसरन घाटी में हुआ यह आतंकी हमला पर्यटकों को निशाना बनाकर किया गया था। लश्कर-ए-तैयबा के सहयोगी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। आतंकियों ने पुलिस की वर्दी में पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिससे घाटी में दहशत का माहौल बन गया। इस हमले ने न केवल कश्मीर के पर्यटन उद्योग को झटका दिया, बल्कि भारत की सुरक्षा नीतियों को और सख्त करने की जरूरत को रेखांकित किया। सरकार ने हमले की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को तैनात किया है, और संदिग्ध आतंकियों के स्केच भी जारी किए गए हैं।