Pakistan Occupied Kashmir POK History
Pakistan Occupied Kashmir POK History
POK का इतिहास: कश्मीर विवाद भारतीय उपमहाद्वीप का एक पुराना और जटिल मुद्दा है, जिसका प्रभाव न केवल भारत और पाकिस्तान पर, बल्कि वैश्विक राजनीति पर भी पड़ा है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) इस विवाद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कश्मीर की भौगोलिक स्थिति, धार्मिक विविधता, और दोनों देशों के बीच राजनीतिक मतभेदों ने इसे संघर्ष का केंद्र बना दिया है। 1947 में भारत के विभाजन के बाद, पाकिस्तान ने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया, जिसे भारत ने अवैध माना। इस लेख में हम PoK के गठन, ऐतिहासिक संदर्भ, और वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करेंगे।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) वह क्षेत्र है जो भारतीय कश्मीर के उत्तरी हिस्से में स्थित है और वर्तमान में पाकिस्तान के नियंत्रण में है। यह क्षेत्र भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित है, और इसका गठन 1947 में हुआ, जब ब्रिटिश साम्राज्य का अंत हुआ और भारत तथा पाकिस्तान का विभाजन हुआ। PoK का गठन कई ऐतिहासिक घटनाओं और संघर्षों का परिणाम है, जो आज भी विवाद का कारण बने हुए हैं।
1947 में जब ब्रिटिश साम्राज्य ने भारत को स्वतंत्रता दी, तो दो नए देश अस्तित्व में आए: भारत और पाकिस्तान। अंग्रेजों ने 562 रियासतों को यह अधिकार दिया कि वे भारत या पाकिस्तान में शामिल हों या स्वतंत्र रहें। जम्मू-कश्मीर एक प्रमुख रियासत थी, जिसकी बहुसंख्यक आबादी मुस्लिम थी, जबकि शासक महाराजा हरि सिंह हिन्दू थे। महाराजा हरि सिंह स्वतंत्र रहना चाहते थे, और उन्होंने न तो भारत में शामिल होने की इच्छा जताई, न ही पाकिस्तान में। इस अनिश्चितता ने एक बड़े संकट की स्थिति उत्पन्न की।
पाकिस्तान को चिंता थी कि मुस्लिम बहुल कश्मीर का भारत में विलय या स्वतंत्र रहना उसके हितों के खिलाफ होगा। इसी डर के चलते अगस्त 1947 में मेजर जनरल अकबर खान के नेतृत्व में ऑपरेशन गुलमर्ग की योजना बनाई गई, जिसमें पाकिस्तानी सेना ने गुप्त रूप से पश्तून कबायलियों को समर्थन दिया। 22 अक्टूबर 1947 को कबायली समूहों ने उत्तरी कश्मीर पर हमला किया, जिसमें पाकिस्तान ने वित्तीय सहायता भी प्रदान की। इस हमले में कई निर्दोष लोग मारे गए और भारतीय सेना ने इसका मुकाबला किया, जिसके बाद कश्मीर का भारत में औपचारिक विलय हुआ।
24 अक्टूबर 1947 को कबायली हमलावरों ने जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण किया। महाराजा हरि सिंह ने भारत सरकार से सैन्य सहायता मांगी। भारत ने कहा कि वह तभी सहायता कर सकता है जब जम्मू-कश्मीर भारत में विधिवत विलय करे। 25 अक्टूबर को महाराजा ने भारत में विलय का प्रस्ताव सौंपा और 26 अक्टूबर को औपचारिक रूप से विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद भारतीय सेना ने तुरंत कार्रवाई की और श्रीनगर एयरपोर्ट को सुरक्षित किया।
26 अक्टूबर 1947 को जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के तुरंत बाद भारतीय सेना को श्रीनगर भेजा गया। भारतीय सैनिकों ने महत्वपूर्ण स्थानों पर हमलावरों को रोका और उनकी प्रगति पर लगाम लगाई। भारतीय सेना ने अक्टूबर-नवंबर 1947 के बीच कई क्षेत्रों को कबायली हमलावरों से मुक्त कराया। इस सैन्य अभियान की सफलता के चलते भारत ने कश्मीर घाटी, जम्मू और लद्दाख के अधिकांश हिस्सों पर नियंत्रण बनाए रखा।
जब पाकिस्तान ने देखा कि कबायली अकेले भारतीय सेना का सामना नहीं कर पा रहे हैं, तब उसने अपनी नियमित सेना को भी भेजा। यह अब केवल एक कबायली हमला नहीं रहा, बल्कि दो देशों के बीच खुला युद्ध बन गया।
जनवरी 1948 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की आक्रामकता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इस पर UNSC ने 21 अप्रैल 1948 को प्रस्ताव 47 पारित किया, जिसमें युद्धविराम और भविष्य में जनमत संग्रह कराने जैसी शर्तें रखी गईं। 1 जनवरी 1949 को युद्धविराम लागू हुआ, जिसके परिणामस्वरूप नियंत्रण रेखा (LoC) का निर्माण हुआ।
1 जनवरी 1949 को युद्धविराम लागू होने के बाद एक सीज़फायर लाइन खींची गई, जिसने दोनों देशों के कब्जे वाले क्षेत्रों को अलग किया। 1972 में शिमला समझौते के बाद इसे नियंत्रण रेखा (LoC) का नाम दिया गया। इसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में भारत और पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों को अलग करना है।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) मुख्य रूप से आजाद जम्मू और कश्मीर (AJK) और गिलगिट-बाल्टिस्तान में विभाजित है। PoK का कुल क्षेत्रफल लगभग 85,793 वर्ग किलोमीटर है। यह क्षेत्र भारत, पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक स्थान पर स्थित है।
पाकिस्तान ने अपने कब्जे वाले कश्मीर को "आज़ाद जम्मू-कश्मीर" (AJK) नाम दिया है, लेकिन वास्तविक नियंत्रण इस्लामाबाद के पास है। AJK की सरकार के पास कुछ अधिकार हैं, लेकिन रक्षा और विदेश नीति पर पाकिस्तानी संघीय सरकार का नियंत्रण है।
भारत PoK और गिलगिट-बाल्टिस्तान को अपने अभिन्न हिस्से मानता है और पाकिस्तान द्वारा किए गए किसी भी प्रशासनिक परिवर्तन को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन मानता है। भारत का तर्क है कि कश्मीर का भविष्य जनमत संग्रह के माध्यम से तय होना चाहिए।
गिलगित-बाल्टिस्तान, जो PoK का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान ने 1963 में इस क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा चीन को सौंप दिया। इसके बाद चीन ने इस क्षेत्र में एक आर्थिक कोरिडोर विकसित करना शुरू किया।
2019 में भारत ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री ने कहा है कि "अब अगला लक्ष्य पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस लाना है।"