पहलगाम आतंकी हमला: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में जहां पूरी दुनिया से विरोध जताया गया, वहीं पाकिस्तान ने चीन की मदद से इन विरोधों की तीव्रता को कम कर दिया है। भारत के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को कमजोर करने के लिए पाकिस्तान द्वारा तैयार की गई इस रणनीति ने भारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
एक अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, इस आतंकी हमले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा जारी बयान 2019 में पुलवामा हमले के बाद जारी बयान की तुलना में कमजोर और हल्के स्वभाव का है। पाकिस्तान ने चीन की मदद से इस बयान को भारत के प्रति कम सहानुभूतिपूर्ण बनाने की कोशिश की। विशेष रूप से, पाकिस्तान स्वयं इस परिवर्तन को लाने में अधिक प्रभावी रहा, क्योंकि वह वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है।
पाकिस्तान-चीन संयुक्त रणनीतियद्यपि पाकिस्तान ने पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद सार्वजनिक रूप से चिंता व्यक्त की है, लेकिन उसने हमले की जांच के लिए कोई ठोस समर्थन नहीं जताया है। दूसरी ओर, यद्यपि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अपराधियों को न्याय के दायरे में लाने का आह्वान किया, लेकिन उसने भारत सरकार को सहायता प्रदान करने का कोई विशेष आह्वान नहीं किया।
2019 के पुलवामा हमले के दौरान, यूएनएससी ने स्पष्ट रूप से सभी सदस्य देशों से भारत सरकार के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करने का आह्वान किया था। लेकिन इस बार, चीन के गुप्त समर्थन से, पाकिस्तान उस तरह की कठोर भाषा का प्रयोग करने से बचने में कामयाब रहा, जिससे भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा बढ़ावा मिलता।
श्रेय : सोशल मीडिया
पाकिस्तान ने स्वतंत्र जांच की मांग कीहमले के बाद पाकिस्तान ने अपनी जांच के लिए एक स्वतंत्र निकाय की नियुक्ति की मांग की है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने शनिवार को कहा कि “पाकिस्तान तटस्थ और पारदर्शी जांच के लिए तैयार है।” हालाँकि, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के कई देश पाकिस्तान की भूमिका को लेकर सशंकित हैं और उन्हें संदेह है कि इस मांग के पीछे एक सुनियोजित राजनीतिक मकसद छिपा है। विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान का मानना है कि हमले की जांच में भारत सरकार का स्पष्ट उल्लेख करने से भारत को वैश्विक बढ़त मिलेगी और पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। इसलिए, चीन ने बयान में भारत का उल्लेख नरम करने में पाकिस्तान की मदद की।
भारत के लिए नई चिंताएँजबकि भारत वर्तमान में चीन के साथ संबंधों को सुधारने का प्रयास कर रहा है, वहीं पाकिस्तान को चीन का गुप्त समर्थन नई दिल्ली के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। भारतीय राजनयिकों के बीच चर्चा है कि बीजिंग के रुख से भारत-चीन संबंधों में नये सिरे से तनाव पैदा हो सकता है। इस घटना ने वैश्विक राजनीति में पाकिस्तान-चीन गठजोड़ के नए स्वरूप को स्पष्ट रूप से उजागर कर दिया है और भारत को इसके खिलाफ अधिक कठोर रणनीति बनानी होगी।
पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के पक्ष में ठोस निर्णय की उम्मीद के बावजूद, पाकिस्तान ने चीन के सहयोग से उस प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न की। इसके लिए भारत को अंतर्राष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करने में अधिक सतर्क और सक्रिय होना होगा। भारत के लिए यह भी जरूरी हो गया है कि वह पाकिस्तान की दोधारी तलवार को उजागर करे और विश्व समुदाय को तथ्यों से अवगत कराए।
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