आजकल दिल की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं. जैसे ही किसी को सीने में दर्द होता है या हार्ट अटैक आता है, डॉक्टर तुरंत एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी या बायपास सर्जरी की बात करते हैं. लेकिन आम लोगों को इन शब्दों में फर्क समझ नहीं आता. कई बार डर या भ्रम की वजह से सही फैसला लेने में देर हो जाती है. ऐसे में आज हम डॉ. अमित मलिक ( वरिष्ठ निदेशक एवं समन्वयक, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी – इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वैशाली) से जानेंगे कि एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी और बाईपास सर्जरी में क्या अंतर है.
डॉ. अमित मलिक ने बताया कि एंजियोग्राफी एक जांच होती है, जिससे यह पता चलता है कि दिल की नसों में कोई ब्लॉकेज है या नहीं. इस जांच में एक खास रंग शरीर में डाला जाता है और फिर एक्स-रे मशीन की मदद से देखा जाता है कि नसों में खून का बहाव कैसा है. इस प्रोसेस से हम यह जान पाते हैं कि कौन-सी आर्टरी बंद है और कितना परसेंट ब्लॉकेज है. एंजियोग्राफी से ही तय होता है कि आगे इलाज के लिए एंजियोप्लास्टी करनी है या बायपास सर्जरी.
अगर एंजियोग्राफी में पता चलता है कि एक या दो नसों में ब्लॉकेज है और खून का बहाव बहुत कम हो गया है, तो उस बंद नस को खोलने के लिए एंजियोप्लास्टी की जाती है. इसमें एक पतली नली (कैथेटर) के जरिए ब्लॉकेज वाली जगह पर पहुंचा जाता है और वहां एक स्टंट डाला जाता है. स्टंट एक जालीदार धातु की नली होती है, जो नस को फैलाकर खुला रखती है. इससे खून का बहाव फिर से नार्मल हो जाता है. स्टंट ज्यादातर हार्ट अटैक के तुरंत बाद या सीमित ब्लॉकेज की स्थिति में डाला जाता है.
जब एक साथ कई नसों में ब्लॉकेज होता है, या ब्लॉकेज इतना गंभीर होता है कि स्टंट से राहत नहीं मिल सकती, तब हम बाईपास सर्जरी की सलाह देते हैं. इस सर्जरी में शरीर के किसी दूसरे हिस्से से एक स्वस्थ नस ली जाती है और ब्लॉकेज वाली जगह को ‘बाईपास’ किया जाता है. इसका मतलब है कि खून को एक नई राह से दिल तक पहुंचाया जाता है.
एंजियोग्राफी एक जांच है, जिससे पता चलता है कि दिल की नसों में रुकावट है या नहीं. अगर ब्लॉकेज सीमित हो, तो स्टंट डालकर नस को खोला जाता है, जिसे एंजियोप्लास्टी कहते हैं, लेकिन अगर ब्लॉकेज ज्यादा है या नसें कई जगह से बंद हैं, तो बायपास सर्जरी की जरूरत पड़ती है. हर मरीज की स्थिति अलग होती है, इसलिए इलाज का तरीका भी उसी के हिसाब से तय होता है. समय पर जांच और इलाज से दिल की बीमारी पर कंट्रोल किया जा सकता है. इसलिए किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें और डॉक्टर की सलाह जरूर लें.