रामनगरी एक बार फिर ऐतिहासिक क्षण की गवाह बनी। मंगलवार को भगवान परशुराम जयंती के पावन अवसर पर वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान श्री राम के भव्य मंदिर के मुख्य शिखर पर 42 फुट ऊंचा दिव्य ध्वज स्तंभ विधिवत रूप से स्थापित किया गया। अब ध्वजस्तंभ सहित मंदिर की कुल ऊंचाई 203 फीट हो गई है।
सुबह आठ बजे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य शिखर पर ध्वज-स्तंभ को औपचारिक रूप से स्थापित किया गया। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय के अनुसार ध्वज स्तंभ 42 फीट ऊंचा है। स्थापना प्रक्रिया सुबह 6:30 बजे शुरू हुई और रात 8 बजे तक पूरी हो गई। शंखनाद और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच जब यह ध्वज मंदिर के शिखर पर स्थापित किया गया तो ऐसा लगा मानो समूचे अयोध्या की आत्मा श्री राम नाम के संकीर्तन के साथ आसमान को छू गई हो। शिखर सहित मंदिर की ऊंचाई 161 फीट है। अब इसमें 42 फुट ऊंचा ध्वज-स्तंभ भी जोड़ दिया गया है।
चंपत राय ने कहा कि ध्वज-स्तंभ की स्थापना महज एक धार्मिक समारोह नहीं है। यह उन अनगिनत आँखों के आंसुओं में छिपे विश्वास का उत्तर था जो पीढ़ियों से इस पल का इंतजार कर रहे थे। आज जब भगवान राम के मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराया गया तो हर श्रद्धालु का हृदय गर्व से भर गया। यह महज एक धातु का स्तंभ नहीं बल्कि करोड़ों राम भक्तों की आस्था, भक्ति और स्वाभिमान का प्रतीक है।
ध्वजस्तंभ ब्रह्मांड की ऊर्जा को राम मंदिर तक पहुंचाने वाला एक एंटीना है।
राम मंदिर के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्रा ने बताया कि ब्रह्मांड की ऊर्जा राम मंदिर तक पहुंच सके, इसके लिए एक विशेष प्रकार का धर्म ध्वज स्तंभ बनाया गया है। यह एक अनोखा एंटीना है, जो ब्रह्मांड की ऊर्जा को भगवान के गर्भगृह तक पहुंचाता है। इंजीनियरों ने झंडे को तेज हवाओं में इधर-उधर फड़फड़ाने से रोकने के लिए एक विशेष संरचना बनाई। ध्वजस्तंभ भी उसी डिजाइन के अनुसार बनाया गया है।
ध्वजस्तंभ की विशेष विशेषताएं
- चौड़ाई- 9.5 इंच, ऊंचाई- 42 फीट, वजन- 5.5 क्विंटल
- अहमदाबाद में 40 कारीगरों द्वारा 9 महीने में बनाया गया
- ध्वजस्तंभ की संरचना कांस्य से बनी है।
- ध्वजस्तंभ को तूफानों से बचाया जाएगा