प्रमोशन नहीं मिली तो साथी को ही पिला दिया जहर, CCTV कैमरे कैद हुई करतूत
Samachar Nama Hindi May 04, 2025 12:42 AM

हर नौकरीपेशा व्यक्ति के जीवन में अप्रेजल (Appraisal) एक बेहद अहम पड़ाव होता है। सालभर की मेहनत का फल इसी एक दिन में मिल जाता है। अच्छे अप्रेजल के लिए कर्मचारी दिन-रात मेहनत करते हैं, समय पर काम पूरा करते हैं, लक्ष्य हासिल करते हैं और उम्मीद करते हैं कि कंपनी और बॉस उनकी काबिलियत को समझकर उनका वेतन बढ़ाएंगे या पदोन्नति देंगे। लेकिन कई बार मेहनत के बावजूद नतीजे उस दिशा में नहीं जाते, और इसके चलते न सिर्फ निराशा जन्म लेती है, बल्कि ईर्ष्या और प्रतिस्पर्धा भी जन्म लेने लगती है — और कभी-कभी यह ईर्ष्या इतना घातक रूप ले लेती है कि वह जानलेवा बन जाती है।

ऐसा ही एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है ब्राजील के अबाइदा डी गोइआस (Abadia de Goiás) शहर से, जहां अप्रेजल न मिलने से नाराज एक महिला कर्मचारी ने अपने ही ऑफिस की सहकर्मी की जहर देकर हत्या कर दी। यह घटना हर उस प्रोफेशनल को झकझोर सकती है जो ऑफिस में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और मेहनत के दम पर आगे बढ़ने में यकीन रखता है।

क्या था पूरा मामला?

मामला ब्राजील के एक कपड़े की फैक्ट्री से जुड़ा है। यहां काम करने वाली 38 वर्षीय महिला कर्मचारी सालभर मेहनत करती रही, और उसे उम्मीद थी कि फरवरी में जब अप्रेजल घोषित होगा, तो उसका नाम उसमें जरूर होगा। लेकिन जब 14 फरवरी को कंपनी ने अप्रेजल की घोषणा की, तो महिला का नाम उस लिस्ट में नहीं था — बल्कि उसके स्थान पर उसकी एक सहकर्मी को प्रमोशन और सैलरी हाइक मिल गया।

बस यहीं से इस महिला के भीतर जलन और ईर्ष्या की आग भड़क उठी। रिपोर्ट के मुताबिक, महिला ने पहले अपनी सहकर्मी से बहस की और फिर शांति से बदला लेने की योजना बना डाली। उसने अपनी सहकर्मी की पानी की बोतल में सॉल्वेंट मिलाकर उसे जहर दे दिया।

कैसे हुआ खुलासा?

जब पीड़ित महिला ने वह पानी पिया, तो तुरंत ही उसके मुंह में जलन होने लगी और उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। साथ काम कर रहे कर्मचारियों ने तत्काल डॉक्टरों को बुलाया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने पुष्टि की कि महिला की मृत्यु जहर पीने से हुई है।

इसके बाद कंपनी ने तुरंत पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने फैक्ट्री में लगे CCTV कैमरों की जांच की और फुटेज में देखा कि 38 वर्षीय महिला कर्मचारी अपनी प्रमोट हुई सहकर्मी की पानी की बोतल के पास जाती है और उसमें कुछ मिलाती है। इसी फुटेज को सबूत मानते हुए पुलिस ने महिला को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस के सामने कबूल किया गुनाह

पुलिस हिरासत में पूछताछ के दौरान महिला ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। उसने बताया कि उसे यह बात बर्दाश्त नहीं हुई कि प्रमोशन उसके बजाय उसकी सहकर्मी को मिला। उसे लगता था कि वह ज्यादा मेहनती और योग्य है, लेकिन कंपनी ने उसके साथ अन्याय किया।

जलन के चलते उसने यह भयानक कदम उठाया और अपनी सहकर्मी की हत्या कर दी। अब महिला हत्या के गंभीर आरोपों का सामना कर रही है और उस पर हत्या की योजना बनाने और उसे अंजाम देने का केस दर्ज किया गया है।

ऑफिस राजनीति या मानसिक दबाव?

इस घटना ने एक बार फिर ऑफिस की राजनीति (Workplace Politics), मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) और अप्रेजल प्रक्रिया की पारदर्शिता (Transparency in Appraisal) को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

  • क्या केवल प्रमोशन या अप्रेजल न मिलने से कोई इतना बड़ा कदम उठा सकता है?
    इसका जवाब है – हां, अगर मानसिक तनाव और ईर्ष्या का इलाज समय पर न किया जाए तो इसका परिणाम विनाशकारी हो सकता है।

  • क्या कंपनियों को मानसिक स्वास्थ्य पर ज़ोर देना चाहिए?
    बिल्कुल। आज के दौर में मानसिक थकान, तनाव, डिप्रेशन और ऑफिस में अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा एक सामान्य समस्या बन चुकी है। HR विभाग को इस ओर संवेदनशील होना होगा।

  • क्या अप्रेजल प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए?
    कर्मचारियों को यदि उनके प्रमोशन या वेतन वृद्धि के न मिलने का स्पष्ट और तर्कसंगत कारण बताया जाए, तो ईर्ष्या और असंतोष की संभावना कम हो सकती है।

  • कर्मचारियों के लिए क्या सबक है?
    • स्वस्थ प्रतिस्पर्धा अपनाएं: किसी की सफलता को देखकर प्रेरणा लें, न कि ईर्ष्या।

    • अप्रेजल न मिलने पर संवाद करें: अगर आपको लगता है कि आपके साथ अन्याय हुआ है, तो खुलकर HR या मैनेजमेंट से बात करें।

    • मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें: तनाव या अवसाद महसूस हो तो मनोवैज्ञानिक की मदद लेने में हिचकें नहीं।

    • कानूनी और नैतिक सीमाओं का ध्यान रखें: किसी भी हालात में ऐसा कदम न उठाएं जो कानून या इंसानियत के खिलाफ हो।

    निष्कर्ष:

    ब्राजील की यह घटना एक गंभीर चेतावनी है — ईर्ष्या और असफलता के क्षणों में भी इंसान को अपने विवेक और धैर्य को नहीं खोना चाहिए। ऑफिस का अप्रेजल भले ही सालभर की मेहनत का मूल्यांकन हो, लेकिन वह जीवन या मृत्यु का कारण नहीं बनना चाहिए।

    एक प्रमोशन के चलते एक महिला ने अपनी सहकर्मी की जान ले ली — अब उसे जेल में जिंदगी भर पछताना होगा। वहीं, एक मेहनती महिला केवल इसलिए अपनी जान गंवा बैठी क्योंकि उसने अच्छा काम किया था।

    इस खबर से यही सबक मिलता है कि प्रतिस्पर्धा ज़रूरी है, लेकिन उससे पहले इंसानियत और समझदारी भी ज़रूरी है।

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