पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव जारी है। भारत लगातार पाकिस्तान के खिलाफ फैसले ले रहा है। ताजा जानकारी के अनुसार, भारत ने चिनाब नदी पर बगलिहार बांध से पाकिस्तान को जाने वाले पानी का प्रवाह रोक दिया है। खबरों के मुताबिक, झेलम नदी पर किशनगंगा बांध पर भी इसी तरह का कदम उठाने की तैयारी चल रही है। इससे भारत ने पहले ने पाकिस्तान के साथ 65 साल से चले आ रहे सिंधु जल समझौते को सस्पेंड कर दिया था।
विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में सिंधु जल समझौता हुआ था। समझौते के तहत सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी को दोनों देशों के बीच बांटने का फैसला हुआ था। चिनाब नदी पर बना बगलिहार बांध भी दोनों पड़ोसी देशों के बीच लंबे समय से विवाद का मुद्दा रहा है। पाकिस्तान ने पूर्व में विश्व बैंक से इस मामले में मध्यस्थता की मांग की थी।
समझौते के तहत पाकिस्तान को सिंधु सिस्टम की पश्चिमी नदियों (सिंधु, चिनाब और झेलम) पर कंट्रोल दिया गया। पाकिस्तान सिंधु नदी सिस्टम के करीब 93 फीसदी पानी का इस्तेमाल सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए करता है और पड़ोसी देश की करीब 80 फीसदी कृषि भूमि इसके पानी पर निर्भर करती है।
भारत द्वारा सिंधु जल संधि स्थगित करने के बाद से पाकिस्तान बेचैन है। कराची की रिसर्च फर्म पाकिस्तान एग्रीकल्चर रिसर्च के घशारिब शौकत ने कहा कि भारत की कार्रवाई अनिश्चितता पैदा करती है। फर्म ने कहा कि इस समय हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।
भारत द्वारा सिंधु नदी जल समझौता स्थगित करने के बाद पाकिस्तान के मंत्रियों और नेताओं का बयान आया था। पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने तो समझौता स्थगित होने के बाद कहा था, 'सिंधु नदी में या तो हमारा पानी बहेगा, या उनका खून बहेगा।'
पाकिस्तानी राजनेताओं ने समझौता स्थगित करने के फैसले को सीधे तौर पर जंग का ऐलान बताया था। सिंधु नदी पाकिस्तान के लिए खासी अहमियत रखती है और समझौते स्थगित होने के बाद पाकिस्तान और उसके नेताओं की बौखलाहट सामने आई।