सुबह उठतेही करेहथेलियोंके दर्शन…. जानिए क्यों? 〥
Himachali Khabar Hindi May 06, 2025 04:42 AM

हिन्दू धर्म अध्यात्म के अनुसार कुछ जीवन को खुशहाल बनाने के लिए व्यक्ति को कुछ नियमों का पालन करना अच्छा माना गया है। कुछ लोगों को लगता है कि धर्म अध्यात्म के कुछ शास्त्रीय नियमों का पालन कर सुखमय जीवन व्यतीत कर सकते हैं।

इसके अलावा कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें शास्रीय नियमों में बंधकर रहना नहीं चाहते हैं। हमारे शास्त्रो में यह बताया गया है कि सुबह नींद से जागते ही सबसे पहले बिस्तर पर अपने दोनों हाथों की हथेलियों का दर्शन करना चाहिए। इस विधान में यह भी बताया गया है कि हथेलियों के दर्शन के दौरान इस श्लोक का भी उच्चारण करना चाहिए।

हथेलियों के दर्शन के दौरान इस श्लोक का जप करे

कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती…

करमूले तु गोविन्द: प्रभाते कर दर्शनम्.!!!

इस श्लोक का अर्थ

इसका अर्थ है कि हथेलियों के अग्र भाग में धन की देवी लक्ष्मी का वास है। वहीं मध्यभाग में विद्या की देवी सरस्वती औऱ मूल भाग में भगवान गोविंद का निवास है। इसलिये प्रात: काल मै अपनी हथेलियों का दर्शन करता हूं।

इस श्लोक में धन की अधिष्ठात्री लक्ष्मी, विद्या की अधिष्ठात्री सरस्वती और शक्ति के स्त्रोत, सदगुणों के दाता, सबके पालनहार भगवान की स्तुति की गई है, ताकि धन, विद्या, यश, कीर्ति और प्रभु कृपा की प्राप्ति हो।

इसके अलावा हथेलियों का दर्शन करने का दूसरा उद्देश्य यह भी है कि सुबह नींद से जागते ही हमारी आंखे उनींदी होती है। इसलिये दूर की वस्तु पर सीधे नजर पड़से से हमारी आंखों पर इसका खराब असर पड़ सकता है। लेकिन हथेलियों के दर्शन करने से धीरे-धीरे हमारी दृष्टि स्थिर हो जाती है । इसकी वजह से आंखों पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।

इस मन्त्र को सुनने से जीवन मे यश, सुख और वैभव मिलेगा

वैदिक परंपरा में मंत्रोच्चारण का विशेष महत्व माना गया है. अगर सही तरीके से मंत्रों का उच्चारण किया जाए तो यह जीवन की दिशा ही बदल सकते हैं।

बहुत से लोग मंत्रों को सही तरीके से उच्चारित नहीं कर पाते और जब मनचाहा फल प्राप्त नहीं होता तो उनका विश्वास डगमगाने लगता है. इसलिए आज मैं आपको एक ऐसा मंत्र बताने जा रही हूं जिसे सुनने या पढ़ने मात्र से आपकी समस्याओं का समाधान निकलने लगता है।

शास्त्रों में ब्रह्मा जी को सृष्ष्टि का सृजनकार, महादेव को संहारक और भगवान विष्णु को विश्व का पालनहार कहा गया है। हिंदू धर्म में विष्णु सहस्रनाम सबसे पवित्र स्त्रोतों में से एक माना गया है।

इसमेें भगवान विष्णु के एक हजार नामों का वर्णन किया गया है. मान्यता है कि इसके पढ़ने-सुनने से इच्छाएं पूर्ण होती हैं.ये स्त्रोत संस्कृत में होने से आम लोगों को पढ़ने में कठिनाई आती है इसलिए इस सरल से मंत्र का उच्चारण करके वैसा ही फल प्राप्त कर सकते हैं जो विष्णु सहस्रनाम के जाप से मिलता है।

यह है अत्यन्त शक्तिशाली मन्त्र…

” नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे. सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नम:.. “

जीवन में आने वाली किसी भी तरह कि बाधाओं से छुटकारा पाने के लिए प्रतिदिन सुबह इस मंत्र का जाप करें।

महाभारत के ‘अनुशासन पर्व’ में भगवान विष्णु के एक हजार नामों का वर्णन मिलता है. जब भीष्म पितामह बाणों की शय्या पर थे उस समय युधिष्ठिर ने उनसे पूछा कि, “कौन ऐसा है, जो सर्व व्याप्त है और सर्व शक्तिमान है?” तब उन्होंने भगवान विष्णु के एक हजार नाम बताए थे। ये खबर आप हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं। ।

भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था कि हर युग में इन नामों को पढ़ने या सुनने से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यदि प्रतिदिन इन एक हजार नामों का जाप किया जाए तो सभी मुश्किलें हल हो सकती हैं।

विष्णु सहस्रनाम को और भी बहुत सारे नामों से जाना जाता है जैसे- शम्भु, शिव, ईशान और रुद्र. इससे ज्ञात होता है कि शिव और विष्णु में कोई अंतर नहीं है ये एक समान हैं।

विष्णु सहस्रनाम के जाप में बहुत सारे चमत्कार समाएं हैं। इस मंत्र को सुनने मात्र से संवर जाएंगे सात जन्म, सभी कामनाएं हो जाएंगी पूर्ण और हर दुख का हो जाएगा अंत।

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