जयपुर, 7 मई . राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि ई-सिगरेट की ऑनलाइन बिक्री पर प्रभावी तरीके से अंकुश लगाया जाना चाहिए. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि युवाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली ई-सिगरेट की ऑनलाइन बिक्री नहीं हो. इसके साथ ही अदालत ने डीजीपी को 7 जुलाई तक शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि ई-सिगरेट की बिक्री को रोकने के लिए क्या प्रभावी तंत्र स्थापित किया गया है. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस मुकेश राजपुरोहित की खंडपीठ ने यह आदेश प्रियांशा गुप्ता की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने पुलिस मुख्यालय के प्रभारी अधिकारी को भी आगामी सुनवाई पर व्यक्तिश: या वीसी के जरिए पेश होने को कहा है.
अदालत ने कहा कि हमने गत सुनवाई पर पुलिस मुख्यालय के केस से जुडे प्रभारी अधिकारी का शपथ पत्र मांगा था, लेकिन उनके स्थान पर पुलिस कमिश्नरेट के एक अधिकारी का हलफनामा पेश हुआ है. ऐसे में यह अदालत के निर्देशानुसार सही नहीं है और अपने आप में गंभीर बात है. इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं साथ ही डीजीपी को भी व्यक्तिगत रूप से बुलाया जा सकता है. अदालत ने कहा कि सरकार के जवाब से पता चलता है कि ई-सिगरेट को लेकर आठ वेबसाइटों को ब्लॉक किया गया है और चार साइटों को अन ब्लॉक किया गया है. ई-सिगरेट की ऑनलाइन बिक्री पर प्रभावी और सख्त तरीके से रोक लगनी चाहिए.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में उपस्थित होकर कहा गया कि विभिन्न वेबसाइटों के माध्यम से ई-सिगरेट की खुलेआम ऑनलाइन बिक्री की जा रही है. जिसे प्रतिबंधित करने की जरूरत है. राज्य सरकार की ओर से दिए जवाब में इसकी बिक्री रोकने का कोई प्रभावी निवारक तंत्र स्थापित होना नहीं बताया है. याचिकाकर्ता ने कहा कि राज्य सरकार के जवाब के अनुसार छापे के दौरान पुलिस को छह स्थानों पर ई सिगरेट की ऑनलाइन बिक्री और खपत मिली. याचिकाकर्ता ने कहा कि वेबसाइटों की ओर से 24 घंटों के भीतर ई-सिगरेट डिलीवरी का दावा किया जाता है, जिससे साबित है कि इनका स्थानीय स्तर पर गोदाम है. जबकि इनकी ऑनलाइन बिक्री को रोकने की सख्त जरूरत है. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मामले में डीजीपी को शपथ पत्र पेश कर ई-सिगरेट की बिक्री को रोकने के लिए बनाए गए प्रभावी तंत्र की जानकारी देने को कहा है.
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