जयपुर, 7 मई . न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रम-11, महानगर द्वितीय ने पीएम नरेंद्र मोदी पर जातिगत टिप्पणी करने को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ पेश परिवाद को खारिज कर दिया है. पीठासीन अधिकारी दीक्षा सूद ने अपने आदेश में कहा कि अदालत न तो किसी की जाति और गोत्र निर्धारित करने का क्षेत्राधिकार अदालत को नहीं है और ना ही अदालत इसके लिए उचित मंच है.
परिवाद में कहा गया की उसने गत वर्ष 9 फरवरी को अखबार में पढा की राहुल गांधी की भारत जोडा न्याय यात्रा छत्तीसगढ़ पहुंची है. इस दौरान राहुल गांधी ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी जन्म से ओबीसी वर्ग के नहीं है. गुजरात की भाजपा सरकार ने मोदी को ओबीसी बनाया है और वे पिछडों के हक और हिस्सेदारी के साथ न्याय नहीं कर सकते. परिवाद में कहा गया की राहुल गांधी का सार्वजनिक तौर पर दिया ऐसा बयान भारतीय नागरिकों के विभिन्न वर्गों और समुदाय के प्रति अपराध करने के लिए उकसाने के लिए दिया गया है. यह बयान देश में अशांति पैदा करने वाला व देश की सुरक्षा को खतरे में डालने के साथ ही देश की अखंडता के खिलाफ भी है. परिवाद में यह भी कहा गया कि सार्वजनिक तौर पर राहुल गांधी खुद को कश्मीरी कौल पंडित बताते हैं, जबकि उनके दादाजी फिरोज गांधी गैर हिन्दू परिवार के थे. अदालत पूर्व में कई फैसलों में कह चुकी है कि पिता की जाति ही उसे बच्चे की जाति होगी. जाति जन्म से होती है और उसे बदला नहीं जा सकता. ऐसे में उन्होंने खुद की जाति छिपाकर बयान दिया है. जिससे परिवादी की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. परिवादी ने मामले में शास्त्री नगर थाना पुलिस को शिकायत दी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. इसलिए मामले में कानून कार्रवाई की जाए.
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