7000 करोड़ रुपये के IPO की तैयारी, भारत में 'फ्लेक्स ऑफिस' सेक्टर में मचने वाली है बड़ी हलचल

भारत का फ्लेक्सिबल ऑफिस स्पेस सेक्टर अब एक नई ऊंचाई की ओर बढ़ रहा है। देश में कार्यस्थल के तौर पर फ्लेक्स ऑफिस की बढ़ती मांग के बीच अब यह सेक्टर निवेशकों की नजरों में आ गया है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA की रिपोर्ट के मुताबिक, अगले 12 से 18 महीनों में इस क्षेत्र की पांच बड़ी कंपनियां मिलकर 7,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि आईपीओ के ज़रिए जुटाने की योजना बना रही हैं।यह विकास ऐसे समय में हो रहा है जब इस सेक्टर में पिछले साल एक सफल आईपीओ देखने को मिला था, जिसने बाजार में निवेशकों की मजबूत दिलचस्पी को रेखांकित किया। बढ़ती मांग और लचीलेपन ने दिलाई नई रफ्तारफ्लेक्स ऑफिस स्पेस की मांग लगातार बढ़ रही है क्योंकि यह बिजनेस के लिए कम खर्च, स्केलेबल और अल्पकालिक लीजिंग विकल्प मुहैया कराता है। स्टार्टअप्स, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (SMEs) और बड़ी कंपनियों के बीच इस मॉडल को तेजी से अपनाया जा रहा है।दिसंबर 2024 तक, भारत में 450 से अधिक फ्लेक्स स्पेस ऑपरेटर्स सक्रिय हैं, जिनमें शीर्ष 5 कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी लगभग 40% है। आने वाले वर्षों में इन कंपनियों को आईपीओ से मिलने वाला पूंजी निवेश उनके नेटवर्क विस्तार और डिजिटल क्षमता में वृद्धि का रास्ता खोलेगा। मार्च 2027 तक 125 मिलियन स्क्वायर फीट पहुंचने की उम्मीदICRA के अनुसार, भारत के 6 प्रमुख शहरों, बेंगलुरु, दिल्ली-NCR, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद और पुणे, में फ्लेक्सिबल ऑफिस स्पेस की कुल आपूर्ति मार्च 2027 तक 125 मिलियन स्क्वायर फीट तक पहुंचने की उम्मीद है। यह विकास दर 21-22% की सीएजीआर से होगी, जो सेक्टर की जबरदस्त ग्रोथ को दर्शाती है। आईपीओ से पारदर्शिता और स्थायित्व की ओर बढ़ेगा सेक्टरइन IPOs से फ्लेक्स ऑफिस इंडस्ट्री में केवल फंडिंग ही नहीं, बल्कि कॉरपोरेट गवर्नेंस और पारदर्शिता को भी बढ़ावा मिलेगा। यह क्षेत्र अभी तक काफी हद तक खंडित रहा है, लेकिन आने वाले आईपीओ इसे एक अधिक संगठित और निवेशक-अनुकूल रूप दे सकते हैं। चुनौतियां भी मौजूदहालांकि यह सेक्टर कई चुनौतियों से भी जूझ रहा है, जिनमें हाई लीज रिन्यूअल रिस्क, प्रतिस्पर्धा की तीव्रता और आर्थिक चक्रों के प्रभाव शामिल हैं। फिर भी, वर्तमान में निवेशकों का रुझान बेहद मजबूत बना हुआ है और यह आईपीओ लहर इस बाजार के लिए एक नए युग की शुरुआत साबित हो सकती है।(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं)