Ancestor Property Tax: खानदानी प्रॉपर्टी पर टैक्स का पूरा हिसाब: जानिए कैसे बचाएं भारी टैक्स » पढ़ें
sabkuchgyan May 11, 2025 03:27 AM

खानदानी या पैतृक संपत्ति भारतीय परिवारों की विरासत का अहम हिस्सा होती है। यह संपत्ति पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती है, लेकिन जब इसे बेचने या किराए पर देने की बात आती है, तो टैक्स संबंधी नियमों को समझना जरूरी हो जाता है। भारत में विरासत में मिली संपत्ति पर टैक्स की गणना और नियम सामान्य संपत्ति से अलग होते हैं।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि खानदानी प्रॉपर्टी बेचने, किराए पर देने या उससे होने वाली आय पर कौन-से टैक्स लागू होते हैं। साथ ही, टैक्स बचाने के लिए कानूनी छूटों और निवेश के विकल्पों पर भी चर्चा करेंगे।

पूर्वज संपत्ति कर

टैक्स का प्रकार पूंजीगत लाभ कर (LTCG/STCG), प्रॉपर्टी टैक्स, इनकम टैक्स (किराए पर आय)
होल्डिंग अवधि 24 महीने से अधिक = दीर्घकालिक (LTCG), कम = अल्पकालिक (STCG)
LTCG टैक्स दर 20% (इंडेक्सेशन के साथ) + सरचार्ज और सेस
छूट के विकल्प सेक्शन 54 (नई प्रॉपर्टी खरीदें), सेक्शन 54EC (बॉन्ड्स में निवेश)
टीडीएस खरीदार द्वारा 1% TDS कटौती (बिक्री मूल्य ≥ ₹50 लाख)
किराए पर आय इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स
अनिवार्य दस्तावेज़ विरासत प्रमाण पत्र, होल्डिंग अवधि का रिकॉर्ड, बिक्री समझौता

खानदानी प्रॉपर्टी पर टैक्स के प्रकार

1. पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax)
जब आप विरासत में मिली प्रॉपर्टी बेचते हैं, तो बिक्री से होने वाले लाभ पर पूंजीगत लाभ कर लगता है। यह कर दो प्रकार का होता है:

  • दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (LTCG): अगर प्रॉपर्टी 24 महीने से अधिक समय तक आपके पास रही हो।
    • टैक्स दर: 20% (इंडेक्सेशन के बाद) + सरचार्ज और सेस।
    • इंडेक्सेशन: मुद्रास्फीति के प्रभाव को कम करने के लिए खरीद लागत को समायोजित किया जाता है।
  • अल्पकालिक पूंजीगत लाभ (STCG): अगर प्रॉपर्टी 24 महीने से कम समय तक रखी गई हो।
    • टैक्स दर: आपकी सामान्य आय के स्लैब के अनुसार।

उदाहरण:
मान लें, आपके पिता ने 2005 में ₹10 लाख में जमीन खरीदी। 2020 में उनकी मृत्यु के बाद यह आपको विरासत में मिली। 2024 में आपने इसे ₹50 लाख में बेच दिया।

  • होल्डिंग अवधि: 2005 से 2024 = 19 साल (LTCG लागू)।
  • इंडेक्स्ड खरीद लागत: ₹10 लाख × (2024 का कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स / 2005 का इंडेक्स)।
  • कर योग्य लाभ: बिक्री मूल्य – इंडेक्स्ड लागत।

2. प्रॉपर्टी टैक्स
नगर निगम द्वारा संपत्ति के मालिकाना हक पर लगाया जाने वाला टैक्स। यह प्रॉपर्टी के मूल्य, स्थान और आकार पर निर्भर करता है।

3. इनकम टैक्स (किराए पर आय):
अगर आप प्रॉपर्टी को किराए पर देते हैं, तो प्राप्त किराए को आय माना जाता है और इसे आपकी कुल आय में जोड़कर टैक्स देना होता है।

टैक्स बचाने के लिए छूट के विकल्प

  • सेक्शन 54: बिक्री से प्राप्त राशि को नई आवासीय प्रॉपर्टी खरीदने या निर्माण करने पर पूर्ण या आंशिक छूट।
    • शर्त: नई प्रॉपर्टी बिक्री की तारीख से 2 साल के भीतर खरीदें या 3 साल में निर्माण पूरा करें।
  • सेक्शन 54EC: ₹50 लाख तक की राशि को NHAI/REC बॉन्ड्स में निवेश करने पर छूट।
    • लॉक-इन अवधि: 5 साल।

खानदानी प्रॉपर्टी बेचने की प्रक्रिया

  1. विरासत प्रमाण पत्र: प्रॉपर्टी पर अधिकार साबित करने के लिए कोर्ट से प्रमाण पत्र प्राप्त करें।
  2. टीडीएस कटौती: खरीदार बिक्री मूल्य का 1% TDS काटेगा (अगर मूल्य ₹50 लाख से अधिक है)।
  3. कैपिटल गेन्स गणना: होल्डिंग अवधि और इंडेक्सेशन को ध्यान में रखें।
  4. ITR दाखिल करें: बिक्री का विवरण आयकर रिटर्न में दर्ज करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. क्या विरासत में मिली प्रॉपर्टी पर इनहेरिटेंस टैक्स लगता है?
नहीं, भारत में इनहेरिटेंस टैक्स नहीं है। हांलांकि, बिक्री या किराए से आय पर टैक्स लग सकता है।

Q2. क्या पैतृक संपत्ति और स्व-अर्जित संपत्ति के टैक्स नियम अलग हैं?
नहीं, दोनों पर पूंजीगत लाभ कर समान रूप से लगता है। फर्क सिर्फ होल्डिंग अवधि की गणना में है।

Q3. कृषि भूमि बेचने पर टैक्स है?
हां, अगर यह शहरी सीमा में है। ग्रामीण कृषि भूमि पर टैक्स नहीं लगता।

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निष्कर्ष और सलाह

खानदानी प्रॉपर्टी पर टैक्स संबंधी नियम जटिल हो सकते हैं, लेकिन सही जानकारी और प्लानिंग से आप टैक्स बोझ को कम कर सकते हैं। बिक्री से पहले होल्डिंग अवधि, इंडेक्सेशन और छूट विकल्पों को अच्छी तरह समझ लें। टैक्स बचाने के लिए सेक्शन 54 या 54EC का उपयोग करें। साथ ही, कानूनी दस्तावेजों को अपडेट रखें और किसी कर विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

अस्वीकरण: यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है। टैक्स नियम समय-समय पर बदल सकते हैं। किसी भी निर्णय से पहले चार्टर्ड अकाउंटेंट या वित्तीय सलाहकार से सलाह लें।

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