3 दिन जो चला वह युद्ध से कम नहीं, Operation Sindoor की पूरी कहानी, भारतीय सेना ने कैसे तबाह किए आतंक के अड्डे
Webdunia Hindi May 12, 2025 06:42 AM

सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने रविवार को कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सात मई को सटीक हमले करने से पहले सीमा पार स्थित नौ आतंकवादी शिविरों, उनके ढांचे और आसपास के इलाकों का सावधानीपूर्वक पता लगाया। डीजीएमओ ने यहां प्रेस कॉनफ्रेंस में कहा कि मुझे इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं है कि हमने पूरी तरह से हैरान कर दिया और उन नौ आतंकी ठिकानों पर किए गए हमलों में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए।

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प्रेस वार्ता के दौरान हमले से पहले और बाद में कुछ आतंकी शिविरों की ली गई हवाई तस्वीरें भी एक बड़े स्क्रीन पर दिखाई गईं। भारत और पाकिस्तान के बीच तत्काल प्रभाव से जमीन, हवा और समुद्र में सभी सैन्य कार्रवाई रोकने पर बनी सहमति के एक दिन बाद यह प्रेस वार्ता हुई। यह सहमति चार दिन तक सीमा पार से ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद बनी, जिससे दोनों देश पूर्ण युद्ध के कगार पर पहुंच गए थे।

भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशकों ने 10 मई की दोपहर फोन पर बातचीत के दौरान इस समझौते पर सहमति जताई। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी ढांचों को नष्ट करने के लिए छह मई की देर रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया गया था। पाकिस्तानी हमलों के बाद की सभी जवाबी कार्रवाई इसी ऑपरेशन के तहत की गई।

डीजीएमओ ने कहा कि आप उस क्रूरता और कायरतापूर्ण तरीके से वाकिफ हैं, जिसमें 22 अप्रैल को पहलगाम में 26 लोगों की हत्या कर दी गई। जब आप उन भयावह दृश्यों और राष्ट्र द्वारा देखे गए परिवारों के दर्द को, हमारे सशस्त्र बलों और निहत्थे नागरिकों पर हुए कई अन्य आतंकवादी हमलों के साथ जोड़ते हैं, तो हम जानते हैं कि एक राष्ट्र के रूप में हमारे संकल्प का एक और सशक्त जवाब देने का समय आ गया था।’’

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उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की परिकल्पना आतंकवाद के ‘‘साजिशकर्ताओं और इसे अंजाम देने वालों को दंडित करने’’ तथा उनके आतंकी ढांचे को नष्ट करने के स्पष्ट सैन्य उद्देश्य से की गई।

लेफ्टिनेंट जनरल घई ने कहा कि भारत ने सीमा पार आतंकी शिविरों और प्रशिक्षण स्थलों की बहुत सावधानी से पहचान की और आतंकवादी ढांचे पर बहुत सटीकता से प्रहार किया। उन्होंने कहा कि कई स्थान सामने आए लेकिन जब ‘‘हमने और अधिक विचार-विमर्श किया, तो हमें एहसास हुआ कि इनमें से कुछ आतंकी ठिकाने हमारे प्रतिशोध के डर से पहले ही खाली कर दिए गए थे।’’

घई ने कहा कि लक्ष्य केवल आतंकवादियों को निशाना बनाया जाना था। उन्होंने कहा, ‘‘नौ शिविर थे जिनसे आप सभी अब परिचित हैं। इनकी पुष्टि हमारी विभिन्न खुफिया एजेंसियों ने की थी। इनमें से कुछ पीओजेके (पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर) में थे, जबकि कुछ पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित थे।’’ घई ने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा के अड्डे मुरीदके जैसे नापाक स्थानों पर वर्षों से अजमल कसाब और डेविड हेडली जैसे कुख्यात आतंकवादी पनपते रहे हैं।

डीजीएमओ ने कहा कि इसके बाद प्रत्येक आतंकी अड्डे, उनके ढांचे, संरचना, यहां तक कि प्रत्येक संरचना में निर्माण के प्रकार और उनके आसपास के भूभाग की सावधानीपूर्वक पहचान की गई।’’ उन्होंने कहा कि उस ‘‘ऐतिहासिक रात’’ की इन घटनाओं की तस्वीरें सात मई को विदेश सचिव द्वारा दिए गए बयान के दौरान पहले ही प्रदर्शित की जा चुकी हैं।

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डीजीएमओ ने संवाददाताओं से कहा कि मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमने पूरी तरह से हैरान कर दिया और उन नौ आतंकी ठिकानों पर किए गए हमलों में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए, जिनमें यूसुफ अजहर, अब्दुल मलिक रऊफ और मुदस्सिर अहमद जैसे आतंकवादी भी शामिल थे। ये आतंकी आईसी 814 के अपहरण और पुलवामा विस्फोट में शामिल थे। इनपुट एजेंसियां Edited by: Sudhir Sharma

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