उत्तराखंड पुलिस में तैनात एक इंस्पेक्टर की निजी ज़िंदगी अब कानून के कटघरे में है। रुद्रपुर की रहने वाली एक महिला की शिकायत ने एक ऐसे पुलिस अधिकारी की परतें उधेड़ दीं, जिसने वर्दी की आड़ में अपनी ज़िंदगी के चार अलग-अलग चेहरे छुपाए हुए थे। पिथौरागढ़ में तैनात पुलिस इंस्पेक्टर आशुतोष सिंह पर आरोप है कि वह तीन शादियां कर चुका है और अब चुपचाप चौथी शादी की तैयारी में था। लेकिन उसकी तीसरी पत्नी ने जब चौथी शादी की भनक पाई, तो उसने न केवल विरोध किया, बल्कि मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पूरे मामले की शिकायत की, जिससे पुलिस प्रशासन भी हरकत में आ गया।
शादी या धोखा?पीड़िता वैजयंती चंद के मुताबिक, 2019 में उन्होंने मथुरा में हिंदू रीति-रिवाज से आशुतोष सिंह से शादी की थी। तब इंस्पेक्टर ने खुद को तलाकशुदा बताया था, लेकिन कुछ ही समय बाद उन्हें पता चला कि उनकी दूसरी पत्नी पूनम रानी से अभी भी तलाक नहीं हुआ है और उस महिला से उनकी एक बेटी भी है। पहली पत्नी से तलाक जरूर हुआ था, लेकिन दूसरी और तीसरी शादी के बीच कोई वैधानिक प्रक्रिया नहीं हुई। यानी तीसरी शादी कानूनी तौर पर अमान्य मानी जा सकती है। बावजूद इसके, आशुतोष चौथी शादी की तैयारी में था और इसके लिए अपना बायोडाटा और तस्वीरें विभिन्न रिश्तों के प्रस्तावों के लिए भेज रहा था।
मानसिक और आर्थिक शोषण का आरोपतीसरी पत्नी का आरोप है कि शादी के बाद से ही उन्हें बेटा ना होने के ताने, अकेलेपन, और घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ा। देहरादून स्थित फ्लैट में उन्हें अकेला छोड़ दिया गया, जबकि पति पिथौरागढ़ में महिला कांस्टेबल से प्रेम-प्रसंग में व्यस्त था। जब पत्नी ने विरोध किया, तो उसे पीटा गया और खर्चा देना बंद कर दिया गया। इतना ही नहीं, पति ने इनकम टैक्स के नाम पर वैजयंती से सादे कागजों पर हस्ताक्षर करवा लिए, और बाद में उनसे लिव-इन पार्टनर दिखाने वाले दस्तावेज तैयार कर लिए गए। यह सिर्फ धोखाधड़ी नहीं, व्यक्तिगत पहचान को मिटाने और मानसिक नियंत्रण का प्रयास था।
अब सास भी हो गईं हमलावरजहां एक ओर पत्नी न्याय की गुहार लगा रही है, वहीं दूसरी ओर इंस्पेक्टर की मां शकुंतला देवी ने अपनी बहू वैजयंती और उसके पिता पर जान से मारने की धमकी देने, तेज़ाब फेंकने की चेतावनी और गाली-गलौज का आरोप लगाया है। पुलिस ने दोनों पक्षों पर केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
प्रशासन पर भी उठे सवालयह मामला सिर्फ एक घरेलू विवाद नहीं, बल्कि पुलिस विभाग में कार्यरत अधिकारी की जवाबदेही और नैतिकता पर बड़ा सवाल बन गया है। क्या एक वर्दीधारी अधिकारी को निजी जीवन में इस स्तर का अनैतिक व्यवहार करने की छूट दी जा सकती है?
निष्कर्ष:
विवाह, प्रेम और धोखा – जब ये सब एक वर्दी के पीछे छुप जाएं, तो न्याय और विश्वास दोनों खतरे में पड़ जाते हैं। अब देखना यह है कि पुलिस महकमा खुद अपने ही एक अफसर के खिलाफ कितना निष्पक्ष रवैया अपनाता है।