सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश, सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए Cashless योजना को सही अर्थों में करें लागू
Webdunia Hindi May 14, 2025 03:42 AM

Supreme Court directives: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने केंद्र सरकार (Central government) को मंगलवार को निर्देश दिया कि वह सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस (cashless) उपचार योजना को सही अर्थों में लागू करे। इस योजना के तहत प्रत्येक दुर्घटना में घायल प्रत्येक व्यक्ति अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज पाने का हकदार होगा।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने केंद्र को अगस्त 2025 के अंत तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जिसमें योजना के क्रियान्वयन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई हो। क्रियान्वयन रिपोर्ट में इस योजना के तहत कैशलेस उपचार प्राप्त करने वाले लाभार्थियों की संख्या शामिल होगी।

योजना को सही अर्थों में लागू किया जाए : पीठ ने कहा कि हम केंद्र सरकार को निर्देश देते हैं कि वह सुनिश्चित करे कि योजना को सही अर्थों में लागू किया जाए। केंद्र ने शीर्ष अदालत को योजना तैयार किए जाने की जानकारी दी और कहा कि यह 5 मई से लागू हो चुकी है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की गजट अधिसूचना के अनुसार कि किसी भी सड़क पर मोटर वाहन दुर्घटना का शिकार होने वाला कोई भी व्यक्ति इस योजना के प्रावधानों के अनुसार कैशलेस उपचार का हकदार होगा।ALSO READ:

केंद्र की खिंचाई की थी : शीर्ष अदालत ने मोटर दुर्घटना पीड़ितों के इलाज के लिए कैशलेस योजना तैयार करने में देरी को लेकर 28 अप्रैल को केंद्र की खिंचाई की थी और कहा था कि उसके 8 जनवरी के आदेश के बावजूद, केंद्र ने न तो निर्देश का पालन किया और न ही समय बढ़ाने की मांग की। शीर्ष अदालत ने कहा कि हालांकि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 164ए को 1 अप्रैल, 2022 को 3 साल की अवधि के लिए लागू किया गया था, लेकिन केंद्र ने दावेदारों को अंतरिम राहत के लिए योजना बनाकर इसे लागू नहीं किया।

पीठ ने कहा था कि आप अवमानना कर रहे हैं। आपने समय-सीमा बढ़ाने की जहमत नहीं उठाई। यह क्या हो रहा है? आप हमें बताएं कि आप योजना कब बनाएंगे? आपको अपने ही कानूनों की परवाह नहीं है। यह कल्याणकारी प्रावधानों में से एक है। 3 साल पहले यह प्रावधान लागू हुआ था। क्या आप वाकई आम आदमी के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं?ALSO READ:

शीर्ष अदालत ने अधिकारियों को उनके 'लापरवाह' रवैए के लिए फटकार लगाई और एक तरफ राजमार्गों के निर्माण और दूसरी तरफ 'गोल्डन ऑवर' उपचार जैसी सुविधाओं की कमी के कारण होने वाली मौतों की ओर इशारा किया। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 2(12-ए) के तहत 'गोल्डन ऑवर' दुर्घटना के बाद के एक घंटे की अवधि को संदर्भित करता है जिसके तहत समय पर चिकित्सा उपलब्ध कराने से मृत्यु को रोका जा सकता है। शीर्ष अदालत ने कानून के तहत अनिवार्य 'गोल्डन ऑवर' में मोटर दुर्घटना पीड़ितों के कैशलेस चिकित्सा उपचार के लिए योजना तैयार करने का 8 जनवरी को केंद्र को निर्देश दिया था।(भाषा)

Edited by: Ravindra Gupta

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