नई दिल्ली। भारत ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने के दावे और कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता के बयान पर पहली बार आधिकारिक स्पष्टीकरण दिया है। हालांकि, भारत ने ट्रंप या अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो का नाम नहीं लिया। भारत ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि जम्मू कश्मीर के मामले में किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच ही सुलझाया जाएगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बिना किसी का नाम लिए तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खारिज किया। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान को पीओके खाली करना होगा और सभी मुद्दे द्विपक्षीय तरीके से हल होंगे। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ केवल एक लंबित मामला है, जो पीओके का है, और इसी पर भारत को अधिकार प्राप्त है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में कहा था कि पाकिस्तान से केवल आतंकवाद और पीओके पर चर्चा होगी।
इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 11 मई को कहा था, 'मैं दोनों देशों के साथ मिलकर यह देखने की कोशिश करूंगा कि क्या कश्मीर मुद्दे का कोई हल निकाला जा सकता है।' अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तटस्थ स्थान पर वार्ता का सुझाव दिया था, लेकिन भारत इसके लिए तैयार नहीं है।
भारत ने ट्रंप के व्यापार रोकने के दबाव डालकर सीजफायर कराने के दावे को भी खारिज किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'सात मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से लेकर 10 मई को गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद करने पर सहमति बनने तक, भारतीय और अमेरिकी नेताओं के बीच उभरते सैन्य हालात पर बातचीत होती रही। किसी भी चर्चा में व्यापार का मुद्दा नहीं उठा।' ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने दोनों देशों के नेताओं से कहा कि यदि वे युद्धविराम पर सहमत होते हैं, तो अमेरिका उन्हें व्यापार में मदद करेगा।