इंसान का सपना होता है कि वह पढ़-लिखकर कुछ बड़ा करे, अपने सपनों को पूरा करे और साथ ही अपने गांव और समाज के लिए भी कुछ ऐसा करे, जिससे लोग उसकी मिसाल दें। ऐसे ही एक सच्ची और प्रेरणादायक कहानी है हरियाणा के हिसार जिले के सारंगपुर गांव के विकास ज्याणी की, जिन्होंने अपने बचपन का सपना पूरा करने के साथ-साथ गांव के बुजुर्गों का सपना भी हकीकत में बदल दिया।
विकास का सपना था कि वो पायलट बनें और जब उनका ये सपना पूरा हो जाए, तो अपने गांव के उन बुजुर्गों को हवाई यात्रा कराएं, जिन्होंने जिंदगीभर कड़ी मेहनत की, लेकिन कभी आसमान से धरती को देखने का ख्वाब भी नहीं देख पाए।
बचपन में लिया था संकल्पविकास ने बचपन में ही ठान लिया था कि एक दिन पायलट बनकर न केवल उड़ान भरेंगे, बल्कि अपने साथ गांव के बुजुर्गों को भी इस खास सफर का हिस्सा बनाएंगे। पढ़ाई के दौरान और पायलट ट्रेनिंग के समय उन्होंने खुद से यह वादा किया कि जिस दिन उनका सपना पूरा होगा, उस दिन वे गांव के बुजुर्गों को जहाज की सैर जरूर कराएंगे।
जब सपना बना हकीकतकुछ समय पहले विकास का सपना पूरा हुआ और वह पायलट बन गए। उन्होंने सबसे पहले अपने उस वादे को निभाने की ठानी, जो उन्होंने खुद से किया था। विकास ने गांव के उन बुजुर्गों को चुना, जिनकी उम्र 70 साल या उससे अधिक थी। उन्होंने इन बुजुर्गों के लिए विशेष रूप से चंडीगढ़ से अमृतसर तक की हवाई यात्रा का आयोजन किया।
इस यात्रा में शामिल बुजुर्गों की उम्र और अनुभव जितने पुराने थे, उनके चेहरे पर उस दिन उतनी ही मासूम सी मुस्कान थी। उनके लिए यह यात्रा किसी जीवन की सबसे बड़ी खुशी से कम नहीं थी।
स्वर्ण मंदिर, जलियांवाला बाग और वाघा बॉर्डर का दौराहवाई यात्रा के साथ-साथ विकास ने इन बुजुर्गों को अमृतसर के प्रमुख स्थलों की सैर भी कराई। उन्होंने स्वर्ण मंदिर के दर्शन किए, जलियांवाला बाग का इतिहास जाना और वाघा बॉर्डर पर तिरंगे के सामने गर्व महसूस किया। यह केवल एक ट्रिप नहीं थी, बल्कि जीवन की एक नई शुरुआत जैसी अनुभूति थी।
बुजुर्गों की प्रतिक्रियायात्रा में शामिल 90 वर्षीय बिमला देवी ने कहा, “मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि हवाई जहाज में बैठूंगी। कई लोगों ने वादा किया था, लेकिन उसे पूरा विकास ने किया।” इसी तरह 78 वर्षीय राममूर्ति और 80 वर्षीय अमर सिंह ने भी अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह उनके जीवन का सबसे यादगार पल है।
बुजुर्गों की आंखों में खुशी के आंसू थे और चेहरे पर वो संतोष, जो शायद बरसों बाद पहली बार महसूस हुआ हो।
पिता की प्रतिक्रियाविकास के पिता महेंद्र ज्याणी ने गर्व से कहा, “बेटे ने जो किया, वो किसी पुण्य से कम नहीं है। हमारे गांव के बुजुर्गों को जिंदगी के इस मोड़ पर ऐसी खुशी देना, एक बहुत बड़ा काम है।” उन्होंने कहा कि बेटे की सोच और उसका समर्पण देखकर उन्हें आज सच्चे मायने में पितृत्व का गर्व महसूस हो रहा है।
एक प्रेरणा सभी के लिएविकास ज्याणी की यह पहल समाज के हर युवा के लिए प्रेरणा है। उन्होंने यह साबित किया कि सफलता केवल खुद की उड़ान तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसमें उन लोगों को भी शामिल करना चाहिए जो हमें इस लायक बनाते हैं। उन्होंने यह दिखा दिया कि बड़े बनने का मतलब केवल ऊंचाई तक पहुंचना नहीं होता, बल्कि दूसरों को भी ऊंचाई पर पहुंचाना होता है।
निष्कर्षहरियाणा के लाल विकास ज्याणी ने केवल पायलट बनकर अपने सपने को पूरा नहीं किया, बल्कि उन्होंने गांव के बुजुर्गों के सपनों को पंख दिए। उनके इस कदम ने समाज को एक नई दिशा दिखाई कि अगर इच्छा सच्ची हो और इरादा मजबूत हो, तो हम अपने साथ दूसरों की खुशियों की उड़ान भी भर सकते हैं।
यह कहानी सिर्फ विकास की नहीं, बल्कि हर उस युवा की है जो अपने गांव, अपने मूल और अपने बुजुर्गों के लिए कुछ करना चाहता है।