स्वर्ग से भी ऊपर स्थान पाते हैं, ये दो प्रकार के पुरुष, जानें ऐसे 10 विचार
sabkuchgyan May 15, 2025 01:26 PM

Jyotish :-महाभारत ने एक से बढ़कर एक योद्धा और विद्वान पात्र दिए जो जीवन की दार्शनिकता से लेकर जीवन के यथार्थ तक बतलाते हैं। इनमें से एक विद्वान थे विदुर। जिनकी नीति और विचार मनुष्य अपने जीवन में उतारता है। इन्होंने धर्म-कर्म, सुख-दुख, स्त्री-पुरुष, स्वर्ग-नर्क, गुण-अवगुण जैसी चीजों पर महात्मा विदुर ने प्रकाश डाला है। विदुर हस्तिनापुर राज्य के प्रधानमंत्री थे। वह अपनी न्यायोचित और नीतिपूर्ण सलाह देने के लिए काफी प्रसिद्ध थे। उनकी कही गई बातों का आज भी उतना ही महत्व है, जितना कि उस समय था।

आइए जानते हैं इससे जुड़े कुछ विचार जो काफी प्रचलित हैं।

1. विदुर ने धर्म पर कहा कि- नशे में धूत, असावधान, थका हुआ, क्रोधी, भूखा, जल्दबाज, लालची और डरा हुआ व्यक्ति कभी धर्म को नहीं जान सकता है।
2. 6 प्रकार के मनुष्य हमेशा दुखी रहते हैं- ईर्ष्या करने वाला, घृणा करने वाला, असंतोषी, क्रोधी, शक करने वाला और दूसरों के सहारे जीवन निर्वाह करने वाला।
3. जीवन के 6 सुख- निरोग रहना, ऋणी न होना, परदेश में न रहना, अच्छे लोगों के साथ मेलजोल रखना, अपनी वृत्ति से जीविका चलाना और निडर होकर रहना।
4। मनुष्य के अंदर, ये 8 गुण प्रसिद्धि को बढ़ाते हैं – बुद्धिमत्ता, कुलीनता, संवेदनाएं संयम, शास्त्र ज्ञान, अधिक नहीं बोल सकते हैं, अधिक नहीं बोलते हैं, शक्ति और कृतज्ञता के अनुसार दान देते हैं।
5.  2 प्रकार के लोग दूसरों पर विश्वास करके चलते हैं, पहले जिनके खुद के मन में खोट नहीं होता है और दूसरे जो रिश्ते बनाकर चलना चाहते हैं।
6. बिल में रहने वाले जीवों को सांप खा जाता है, उसी प्रकार शत्रु से डटकर मुकाबला न करने वाले शासक और परदेश न जाने वाले ब्राह्मण – इन दोनों को पृथ्वी खा जाती है।
7. इन दो कर्मों को करने वाला मनुष्य इस लोक में विशेष शोभा पाता है- पहला बिल्कुल भी कठोर न बोलने वाला और दूसरा बुरे लोगों का आदर नहीं करने वाला।
8.ये दो प्रकार के पुरुष स्वर्ग से भी ऊपर स्थान पाते हैं- पहला शक्तिशाली होने पर भी क्षमा करने वाला और दूसरा गरीब होकर भी दान करने वाला।
9. ये दो आदतें नुकीले कांटे की तरह शरीर को बेध देती हैं- पहली, गरीब होकर भी कीमती वस्तुओं की इच्छा रखना और दूसरी आदत, कमजोर होकर भी गुस्सा करना।
10.  ये दो प्रकार के पुरुष सूर्यमंडल को भी भेद कर सर्वोच्च गति को प्राप्त करते हैं, पहला योगयुक्त सन्यासी और दूसरा वीरगति को प्राप्त योद्धा।

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