जालंधर, 16 मई (आईएएनएस)। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और जामिया मिलिया इस्लामिया के बाद लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) देश का पहला निजी विश्वविद्यालय बन गया है, जिसने तुर्की और अजरबैजान के संस्थानों के साथ सभी समझौता ज्ञापनों (एमओयू) को समाप्त कर दिया है।
विश्वविद्यालय ने हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों का हवाला देते हुए तुर्की और अजरबैजान के संस्थानों के साथ छह अकादमिक साझेदारियों को औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया है, जिसे वह राष्ट्रीय हित के विपरीत मानता है।
लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी का यह कदम हाल ही में भारत-पाक तनाव के दौरान तुर्की और अजरबैजान के पाकिस्तान समर्थक रुख के जवाब में उठाया गया है।
एलपीयू के संस्थापक चांसलर और राज्यसभा सांसद डॉ. अशोक कुमार मित्तल ने कहा, “जब हमारे बहादुर सशस्त्र बल अपने जीवन को जोखिम में डाल रहे हैं, चाहे गुप्त ऑपरेशन हो, हवाई रक्षा हो या हमारी सीमाओं पर गश्त करना हो, तो हम एक संस्थान के रूप में कैसे उदासीन बने रह सकते हैं। एलपीयू का मिशन हमेशा देश की विकास और अखंडता के साथ जुड़ा हुआ है, और हम कभी भी किसी ऐसे संस्थान से नहीं जुड़ेंगे जो देश की संप्रभुता को कमजोर करता हो।"
कई प्रमुख भारतीय विश्वविद्यालयों ने राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए तुर्की के संस्थानों के साथ अपने शैक्षणिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) को निलंबित कर दिया। जामिया मिलिया इस्लामिया ने गुरुवार को एक बयान जारी कर तुर्की की सरकार से संबद्ध किसी भी संस्थान के साथ सभी समझौता ज्ञापनों को तत्काल निलंबित करने की घोषणा की।
यह कदम जेएनयू द्वारा तुर्की के इनोनू विश्वविद्यालय के साथ अपने स्वयं के समझौता ज्ञापन को निलंबित करने के बाद उठाया गया है। जेएनयू ने अपने बयान में इसी तरह की राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए कहा, "राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से, जेएनयू और इनोनू विश्वविद्यालय, तुर्की के बीच समझौता ज्ञापन को अगली सूचना तक निलंबित कर दिया गया है। जेएनयू राष्ट्र के साथ खड़ा है।"
हैदराबाद में मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (एमएएनयूयू) ने भी तुर्की के यूनुस एमरे संस्थान के साथ अपने अकादमिक समझौता ज्ञापन को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है।
--आईएएनएस
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