Ovarian Cancer: कैंसर का नाम सुनते ही लोगों में एक भय उत्पन्न होता है, विशेषकर जब यह महिलाओं के प्रजनन अंगों से जुड़ी बीमारियों की बात आती है। ओवरी कैंसर, जो स्त्री रोग से संबंधित जटिल बीमारियों में से एक है, इसके जोखिम कारकों को लेकर कई सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं। विशेष रूप से यह जानना कि क्या अधिक वजन या उच्च BMI (बॉडी मास इंडेक्स) इस गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है, एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय है।
अन्य स्त्री रोगों की तुलना में, ओवरी कैंसर और मोटापे के बीच संबंध स्पष्ट नहीं है। कुछ शोधों में यह पाया गया है कि उच्च BMI और ओवरी कैंसर के बीच एक कमजोर लेकिन महत्वपूर्ण संबंध है।
Roswell Park Cancer Institute द्वारा की गई एक केस-कंट्रोल स्टडी में यह देखा गया कि रजोनिवृत्त महिलाओं में उच्च BMI का कोई विशेष प्रभाव नहीं था, लेकिन प्रीमेनोपॉज़ल महिलाओं में, जिनका BMI 30 या उससे अधिक था, उनमें ओवरी कैंसर का खतरा दोगुना से अधिक पाया गया (adjusted OR = 2.19)।
हालांकि इस संबंध को पूरी तरह से समझा नहीं गया है, कुछ जैविक सिद्धांत इसकी संभावनाओं को दर्शाते हैं। शरीर की वसा ऊतक एस्ट्रोजेन जैसे हार्मोन का उत्पादन करती है। जब यह हार्मोन अधिक मात्रा में होता है, तो यह कुछ प्रकार के कैंसर को बढ़ावा दे सकता है।
गर्भाशय कैंसर में यह संबंध स्पष्ट है, जबकि ओवरी कैंसर में यह प्रभाव थोड़ा कम प्रत्यक्ष है। हाल की कुछ स्टडीज़ में यह संकेत मिला है कि रक्त में बढ़े हुए एस्ट्रोजेन स्तर ओवरी के प्रारंभिक स्टेज के कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं।
मोटापे से संबंधित हार्मोनल असंतुलन जैसे हाइपरइंसुलिनिमिया और एंड्रोजेन्स के बढ़े हुए स्तर से कोशिकाओं का अनियंत्रित विभाजन होता है। यह प्रक्रिया एपिथीलियल ओवरी कैंसर, जो ओवरी कैंसर का सबसे सामान्य प्रकार है, को जन्म दे सकती है।
BMI के प्रभाव को समझते समय अन्य जोखिम कारकों को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। विशेष रूप से पोस्टमेनोपॉज़ल हार्मोन थेरेपी लेने वाली महिलाओं में, विशेषकर केवल एस्ट्रोजेन थेरेपी लेने वालों में, BMI के अनुसार जोखिम प्रोफाइल भिन्न हो सकते हैं।
इसके अलावा, BRCA1 और BRCA2 जैसे जेनेटिक म्यूटेशन वाली महिलाओं में ओवरी कैंसर का आजीवन जोखिम 70% तक हो सकता है, जो उनके वजन से स्वतंत्र होता है।
यदि मोटापा ओवरी कैंसर का सीधा कारण नहीं है, तो यह रोग की गंभीरता, उपचार की प्रतिक्रिया और मरीज की जीवन प्रत्याशा पर निश्चित रूप से प्रभाव डालता है। शोध में यह पाया गया है कि जिन महिलाओं का BMI कम होता है, वे सर्जरी के बाद जल्दी ठीक होती हैं और उनकी 5 साल की सर्वाइवल रेट अधिक होती है।
Disclaimer: ये आर्टिकल मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.