कभी-कभी हमें लगता है कि बस आज मूड ठीक नहीं है, थोड़ा अकेलापन, थोड़ी बेचैनी… लेकिन जब यह रोज़ का हिस्सा बनने लगे, और हमारा मन उन चीज़ों में भी न लगे जिनमें पहले खुशी मिलती थी, तो यह एक चेतावनी है – यह डिप्रेशन हो सकता है।
अगर आप हर दिन खुद से ही लड़ते हैं, सोचते हैं कि अब कुछ अच्छा नहीं होगा, किसी से बात करने का मन नहीं करता या फिर हर काम बोझ लगने लगता है, तो यह सामान्य नहीं है। यह एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या हो सकती है जिसे नजरअंदाज करना ठीक नहीं।
🧠 डिप्रेशन और एंग्ज़ायटी के नए 6 टाइप्स खोजे गए
हाल ही में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च की है, जिसमें दिमाग का स्कैन कर यह जाना गया कि डिप्रेशन और चिंता के 6 अलग-अलग प्रकार (Subtypes) होते हैं।
ये खोज न केवल डिप्रेशन को बेहतर समझने में मदद करेगी बल्कि इससे इलाज को भी व्यक्ति के मानसिक प्रोफाइल के अनुसार कस्टमाइज़ किया जा सकेगा।
स्कैन कैसे हुआ?
रिसर्चर्स ने मरीजों के दिमाग को उस वक्त स्कैन किया, जब वे आराम की स्थिति में थे। फिर उन्हें भावनात्मक कार्य जैसे दुखी चेहरों की तस्वीरें दिखाकर उनका रिएक्शन रिकॉर्ड किया।
फिर यह देखा गया कि किस तरह की ब्रेन एक्टिविटी उन लक्षणों से जुड़ी है जो आमतौर पर डिप्रेशन और एंग्जाइटी में देखे जाते हैं – जैसे अनिद्रा, आत्महत्या के विचार, उदासी आदि।
💡 डिप्रेशन के आम प्रकार (Types of Depression):
1. मेजर डिप्रेशन
नींद, भूख, काम करने की इच्छा और सोचने की क्षमता सभी पर असर पड़ता है। यह सबसे सामान्य लेकिन गंभीर डिप्रेशन का रूप है।
2. बाइपोलर डिप्रेशन
इसमें मूड बहुत तेजी से बदलता है – कभी बहुत उत्साह और कभी बहुत गहरा अवसाद। पुरुष और महिलाएं दोनों इसकी चपेट में आ सकते हैं।
3. क्रॉनिक स्ट्रेस (लगातार तनाव)
अगर साल भर से ज्यादा समय तक चिंता या तनाव बना रहे, तो यह डिप्रेशन का गहरा रूप हो सकता है।
4. प्रेग्नेंसी से जुड़ा डिप्रेशन
महिलाएं गर्भावस्था या डिलीवरी के दौरान बहुत अधिक मानसिक दबाव झेलती हैं, जो डिप्रेशन का कारण बन सकता है।
5. सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर
ठंड के मौसम में जब धूप कम हो जाती है तो यह स्थिति होती है, जिससे व्यक्ति सुस्त, उदास और थका हुआ महसूस करता है।
6. साइकोटिक डिप्रेशन
इसमें व्यक्ति को भ्रम, डर और अवास्तविक चीजें दिखने लगती हैं। यह डिप्रेशन का सबसे गंभीर रूप है।
💊 इलाज और सतर्कता ज़रूरी है
डिप्रेशन के इलाज में आमतौर पर SSRIs दवाएं दी जाती हैं जो ब्रेन में सेरोटोनिन बढ़ाकर मूड को ठीक करती हैं। हालांकि, इन दवाओं के साइड इफेक्ट हो सकते हैं – जैसे सिरदर्द, नींद न आना या वजन बढ़ना।
इसलिए जरूरी है कि बिना डॉक्टर की सलाह के कभी भी दवा शुरू या बंद न करें। सही डोज़, सही समय और सही देखरेख से ही मानसिक स्वास्थ्य को संभालना संभव है।
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