इंटरनेट डेस्क। भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव पर अब ब्रेक तो लग गया है लेकिन मोदी सरकार पाकिस्तान को छोड़ने के मूड में नजर नहीं आ रही है। दोनों देशों के बीच शांति समझौता होने के बाद पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए मोदी सरकार ने एक प्रतिनिधिमंडल तैयार किया है जो अलग-अलग देश में जाकर पाकिस्तान की करतूत सामने रखने वाले हैं। मोदी सरकार नहीं है जिम्मेदारी देश के साथ सांसदों को दी है जो अपने-अपने डेलिगेशन को लीड करेंगे और दुनिया को बताएंगे कि कैसे पाकिस्तान आतंकवाद का सबसे बड़ा गढ़ बन गया है।
कैसे किया है विभाजन
सात डेलिगेशन ग्रुप का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी शशि थरूर, रवि शंकर प्रसाद, वैजयंत पांडा, संजय कुमार झा, कनिमोई करुणा निधि, सुप्रिया सुले और श्रीकांत शिंदे को दी गई है। इस जिम्मेदारी में सबसे खास बात यह है की अंग्रेजी के अच्छे प्रवक्ता शशि थरूर को अमेरिका के लिए चुना गया है वही असदुद्दीन ओवैसी को सऊदी अरब भेजा जा रहा है। आपको यह सब पढ़ कर स्पष्ट हो गया होगा कि मोदी सरकार ने किस तरह इस मामले में भी अपना मास्टर स्ट्रोक खेला है।
भारत की जीरो टॉलरेंस नीति...डेलिगेशन का यह ग्रुप दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जाकर भारत की स्थिति आतंकवाद के सामने स्पष्ट करेगा। यह सभी दुनिया को यह बताएंगे कि भारत आतंकवाद के मामले में जीरो टॉलरेंस नीति अपना रहा है। इसके साथ ही यह प्रतिनिधिमंडल दुनिया भर को आतंकवाद के खिलाफ एक धागे में भी पिरोने की भी कोशिश करेगा।
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