सुबह उठने के साथ ही आने लगती हैं छींकें? हो सकती है ये गंभीर समस्या
GH News May 18, 2025 10:04 AM

अक्सर लोगों को उठने के साथ ही छींके आना शुरू हो जाती हैं. ऐसा कई समस्याओं के कारण हो सकता है.

हर कोई चाहता है कि सुबह की शुरुआत अच्छी हो, लेकिन कुछ लोगों को उठते ही छींके आने लगती हैं, जिसके चलते मूड खराब हो जाता है. कई बार छींक के साथ साथ गले में खुजली, नाक में खुजली आदि की समस्या होने लगती है. मेडिकल की भाषा में इसे एलर्जिक राइनाइटिस (Allergic rhinitis)कहा जाता है. ये समस्या अधिकतर लोगों को होती है. इसके कई कारण हो सकते हैं.

छींक आने के कारण-

दरअसल सुबह उठते ही हवा के साथ धूल के कण और खतरनाक तत्व अचानक हमारी नाक के माध्यम से अंदर घुसने की कोशिश करते हैं, जिन्हें अंदर जाने से हमारी नाक इन्हें रोकती है. हालांकि कुछ कण हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे रिएक्शन होता है और छींक आने लगती है.

एलर्जिक राइनाइटिस-

अधिकतर लोगों को सुबह उठने के बाद अचानक छींक आने की समस्या होती है. ऐसे में ये एलर्जिक राइनाइटिस के कारण हो सकता है. यदि किसी को एलर्जिक राइनाइटिस की समस्या है तो छींक आना आम बात है. हालांकि कई बार ये समस्या बढ़ जाती है और छींक के साथ साथ चेहरे पर सूजन, नाक और गले में जलन होने लगती है.

नाक में रूखापन-

कई बार ये समस्या नाक के रूखेपन के चलते भी हो सकती है. ऐसा तब होता है जब कमरे का क्लाइमेट ड्राइ हो जाता है तब रात के समय तापमान में बदलाव के चलते नाक में रूखापन हो जाता है.

तापमान में बदलाव के कारण-

कई बार जब हम सोते हैं तब तापमान कुछ और होता है और उठने के साथ ही ये बदल जाता है. ऐसे में लगातार छींक की समस्या हो सकती है. तापमान में उतार-चढ़ाव अचानक ठंडे गर्म से छींके आने लगती हैं. साथ ही धुएं के संपर्क में आने से भी ये परेशानी होती है.

साइनस हो सकता है कारण-

जिन लोगों को साइनस की समस्या होती है उनमें ये समस्या अधिकतर देखी जाती है. साइनस से पीड़ित लोगों को अधिकतर उठने के बाद छींके आने लगती हैं. इसके साथ मुंह पर सूजन आ जाती है. नाक और गले में जलन, सिर में दर्द जैसी दिक्कतें होने लगती हैं.

एमबीबीएस, एमएस चिकित्सक डॉ गौरव मिश्रा के अनुसार हम सुबह उठकर हवा के संपर्क में आते हैं. ऐसे में हवा में मौजूद पोलन के कुछ कण हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिसके चलते अचानक छीकें आने लगती हैं. मौसम में बदलाव के चलते ये समस्या अधिकतर मार्च, अप्रैल, सितबंर और अक्टूबर में देखने को मिलती है.

नोटः यहां दी गई जानकारी की इंडिया काॅम पुष्टि नहीं करता. यहां बताई गई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें.

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