हरियाणा बोर्ड: नूंह शिक्षा संकट: आधा दर्जन स्कूलों के परिणाम शून्य, चौंकाने वाला खुलासा: हरियाणा के नूंह जिले में 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम ने शिक्षा व्यवस्था की वास्तविकता को उजागर किया है। इस बार जिले के लगभग छह स्कूलों का रिजल्ट शून्य रहा, जिसमें सरकारी और निजी दोनों प्रकार के स्कूल शामिल हैं।
इस वर्ष नूंह जिले में 7,588 छात्रों ने 12वीं की बोर्ड परीक्षा दी, जिनमें से केवल 3,472 पास हुए। 1,758 छात्रों को कंपार्टमेंट मिला, जबकि 2,358 पूरी तरह असफल रहे। जिले का कुल पास प्रतिशत मात्र 45.79% रहा, जो हरियाणा के 22 जिलों में सबसे कम है।
सबसे चिंताजनक यह है कि तीन सरकारी स्कूलों और कई प्राइवेट स्कूलों का रिजल्ट शून्य रहा। ओथा गांव के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में 13 छात्रों ने परीक्षा दी, लेकिन कोई भी पास नहीं हुआ। मूलधान के सरकारी स्कूल में एकमात्र छात्रा असफल रही, और जाडोली स्कूल की चारों छात्राएं भी फेल हो गईं। प्राइवेट स्कूलों में फिरोजपुर झिरका के सरस्वती विद्यामंदिर, अंसार पब्लिक स्कूल साकरस, और एपीएस पब्लिक स्कूल सिंगलहेडी का रिजल्ट भी शून्य रहा। यह आंकड़े नूंह शिक्षा संकट की भयावह तस्वीर पेश करते हैं।
नूंह के अभिभावकों का कहना है कि जिले में शिक्षकों की भारी कमी इस संकट का सबसे बड़ा कारण है। स्कूलों में आधे से ज्यादा शिक्षक पद रिक्त हैं, जिसके चलते छात्रों को ठीक ढंग से पढ़ाई नहीं मिल पाई।
कई स्कूलों में विषय विशेषज्ञ शिक्षकों का अभाव है, और जो शिक्षक मौजूद हैं, वे भी अक्सर प्रशासनिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं। प्राइवेट स्कूलों की स्थिति और भी खराब है, जहां कम अनुभवी शिक्षक और अपर्याप्त संसाधन छात्रों के प्रदर्शन को प्रभावित कर रहे हैं। अभिभावकों का गुस्सा जायज है, क्योंकि उनके बच्चों का भविष्य दांव पर है। यह स्थिति शिक्षा व्यवस्था में सुधार की तत्काल जरूरत को रेखांकित करती है।
हालांकि नूंह शिक्षा संकट ने सभी स्कूलों को कठघरे में खड़ा किया है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि सरकारी स्कूलों का प्रदर्शन प्राइवेट स्कूलों से बेहतर रहा। सरकारी स्कूलों का पास प्रतिशत 67% रहा, जो प्राइवेट स्कूलों के 33% से कहीं ज्यादा है।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में बेहतर ढांचा और नियमित निगरानी के कारण यह संभव हुआ। फिर भी, तीन सरकारी स्कूलों का शून्य रिजल्ट इस दावे पर सवाल उठाता है। जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह ने स्वीकार किया कि इस बार का रिजल्ट निराशाजनक है, लेकिन उन्होंने वादा किया कि इस संकट से सबक लेकर भविष्य में सुधार किया जाएगा।
नूंह के छात्र और उनके अभिभावक इस रिजल्ट से गहरे आहत हैं। कई छात्रों ने मेहनत की थी, लेकिन शिक्षकों की कमी और स्कूलों में संसाधनों की अनुपलब्धता ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया।
अभिभावकों का कहना है कि सरकार को तुरंत शिक्षक भर्ती पर ध्यान देना चाहिए और स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं, जैसे लाइब्रेरी और लैब, उपलब्ध करानी चाहिए। कुछ अभिभावकों ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस और खराब शिक्षण पर भी सवाल उठाए। यह संकट न केवल शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठाता है, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के लिए समान अवसरों की कमी को भी उजागर करता है।
नूंह शिक्षा संकट एक चेतावनी है कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड को स्कूलों की नियमित निगरानी, शिक्षकों की भर्ती, और संसाधनों के उचित वितरण पर ध्यान देना होगा।
साथ ही, प्राइवेट स्कूलों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियम बनाए जाने चाहिए। नूंह के छात्रों का भविष्य केवल आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि समाज की प्रगति का आधार है। इस संकट से उबरने के लिए सरकार, स्कूल प्रशासन, और समुदाय को मिलकर काम करना होगा।
हालांकि नूंह का यह रिजल्ट निराशाजनक है, लेकिन यह एक नई शुरुआत का अवसर भी हो सकता है। जिला शिक्षा अधिकारी के आश्वासन और सरकारी स्कूलों के अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन से उम्मीद बंधती है कि सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो स्थिति सुधर सकती है।
नूंह के छात्रों को बेहतर शिक्षा और अवसर देने के लिए सभी हितधारकों को एकजुट होकर काम करना होगा। यह संकट हमें याद दिलाता है कि शिक्षा केवल डिग्री नहीं, बल्कि एक उज्ज्वल भविष्य की नींव है।