भारतीय भोजन में रोटी का एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह न केवल दैनिक आहार का एक हिस्सा है, बल्कि इसके सेवन से स्वास्थ्य को भी लाभ होता है। हालांकि, कुछ विशेष धार्मिक अवसरों पर रोटी बनाना और खाना वर्जित माना जाता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, ऐसे दिन होते हैं जब रोटी या गेहूं से बनी चीजें बनाना या खाना अशुभ माना जाता है। आइए जानते हैं उन 10 खास दिनों के बारे में जब रोटी से परहेज करना चाहिए।
अमावस्या को पितरों का दिन माना जाता है। इस दिन पूजा और श्राद्ध का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन रोटी बनाना दरिद्रता और अशुभता का कारण बन सकता है।
यह पर्व सूर्य देवता को समर्पित है। इस दिन खिचड़ी का भोग लगाने और खाने की परंपरा है। रोटी बनाना धार्मिक नियमों के खिलाफ माना जाता है।
हर महीने आने वाली संकष्टी चतुर्दशी पर व्रत रखा जाता है और फलाहार किया जाता है। इस दिन रोटी बनाने से जीवन में रुकावटें आ सकती हैं।
एकादशी को भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। इस दिन उपवास या सात्विक आहार का पालन किया जाता है, जिसमें गेहूं या चावल जैसे अनाज नहीं खाए जाते।
दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन होता है। इस शुभ अवसर पर मिठाइयों और पकवानों का महत्व होता है। रोटी बनाना दरिद्रता दूर करने के प्रयास में बाधक माना जाता है।
इस दिन मां शीतला को ठंडा, बासी भोजन अर्पित किया जाता है। नए भोजन बनाना या चूल्हा जलाना निषेध होता है।
पितरों की तिथि पर ताजा रोटी बनाना वर्जित है। पितरों के लिए विशेष पकवान बनाए जाते हैं, जिसमें गेहूं की रोटी शामिल नहीं होती।
नाग देवता की पूजा के दिन अनाज या रोटी से परहेज किया जाता है। इस दिन दूध और फल का सेवन अधिक शुभ माना जाता है।
हिन्दू घरों में किसी परिजन की मृत्यु के बाद कुछ दिनों तक साधारण खाना बनाया जाता है। इस दौरान रोटी या कच्चा खाना बनाने से बचा जाता है।
सरस्वती पूजन, जिसे बसंत पंचमी भी कहते हैं, के दिन हल्का व्रत रखा जाता है। इस दिन गेहूं से बनी रोटी नहीं बनानी चाहिए, बल्कि पीले पकवान जैसे खीर-चावल बनाए जाते हैं।