रूपल राणा की प्रेरणादायक UPSC सफलता: मां की मृत्यु के बावजूद 26वीं रैंक हासिल की
newzfatafat May 18, 2025 06:42 PM
रूपल राणा की प्रेरणादायक कहानी

रूपल राणा की प्रेरणादायक UPSC सफलता: मां की मृत्यु के बावजूद 26वीं रैंक हासिल की: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के छोटे से गांव बड़ौद की निवासी रूपल राणा की कहानी उन युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने का साहस रखते हैं।


यूपीएससी (UPSC), जिसे देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है, में रूपल ने अपने तीसरे प्रयास में 26वीं रैंक प्राप्त कर न केवल अपने परिवार का नाम रोशन किया, बल्कि लाखों युवाओं को यह संदेश दिया कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। मां की मृत्यु जैसी व्यक्तिगत त्रासदी और अन्य चुनौतियों के बावजूद, रूपल ने हार नहीं मानी और एक IAS अधिकारी बनकर अपनी सफलता की कहानी लिखी। आइए, उनकी इस प्रेरणादायक यात्रा को करीब से जानते हैं।


रूपल राणा की यूपीएससी यात्रा: चुनौतियों से भरा सफर

रूपल राणा का जन्म और पालन-पोषण बागपत के एक साधारण परिवार में हुआ। उनके पिता, जसवीर राणा, दिल्ली पुलिस में सहायक उप-निरीक्षक (ASI) के पद पर कार्यरत हैं। पिता की मेहनत और अनुशासन ने रूपल को हमेशा प्रेरित किया।


यूपीएससी (UPSC) की तैयारी शुरू करने से पहले, रूपल को यह नहीं पता था कि यह यात्रा कितनी कठिन होगी। पहले दो प्रयासों में असफलता के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी। तीसरे प्रयास में, उन्होंने न केवल प्री और मेंस परीक्षा पास की, बल्कि 26वीं रैंक हासिल कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। उनकी यह उपलब्धि उनकी मेहनत, धैर्य, और परिवार के समर्थन का परिणाम है।


मां की बीमारी और अंतिम विदाई

रूपल की यात्रा में सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब यूपीएससी मेंस की तैयारी के दौरान उनकी मां, अंजू राणा, गंभीर रूप से बीमार हो गईं। यह समय रूपल के लिए बेहद कठिन था। एक ओर मां की देखभाल की जिम्मेदारी थी, दूसरी ओर देश की सबसे कठिन परीक्षा की तैयारी।


फिर भी, रूपल ने हिम्मत नहीं हारी और दोनों जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। मेंस परीक्षा पास करने के बाद, रूपल की मां का निधन हो गया। यह पल उनके लिए असहनीय दुख लेकर आया, क्योंकि मां उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा थीं।


पिता का साथ और नया हौसला

मां के निधन ने रूपल को भावनात्मक रूप से तोड़ दिया था, लेकिन उनके पिता, जसवीर राणा, ने उन्हें संभाला। पिता ने रूपल को याद दिलाया कि उनकी मेहनत और सफलता उनकी मां को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।


इस प्रोत्साहन ने रूपल में नई ऊर्जा भरी। उन्होंने इंटरव्यू की तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ी और अंततः यूपीएससी (UPSC) में 26वीं रैंक हासिल कर अपने पिता और दिवंगत मां के सपनों को पूरा किया। उनकी यह सफलता की कहानी उन लोगों के लिए एक मिसाल है, जो व्यक्तिगत त्रासदियों के बीच भी अपने लक्ष्य से भटकते नहीं।


रूपल राणा की प्रेरणा: मेहनत और संतुलन

रूपल की कहानी हमें सिखाती है कि सफलता केवल किताबों और रट्टा मारने से नहीं मिलती। यह मेहनत, धैर्य, और भावनात्मक संतुलन का मिश्रण है। मां की बीमारी और मृत्यु के दौरान रूपल ने जिस तरह से अपनी पढ़ाई और पारिवारिक जिम्मेदारियों को संभाला, वह हर यूपीएससी उम्मीदवार के लिए एक सबक है।


उन्होंने समय प्रबंधन, आत्मविश्वास, और परिवार के समर्थन के महत्व को समझा। रूपल की सफलता की कहानी यह भी दिखाती है कि असफलताएं आपको मजबूत बनाती हैं, बशर्ते आप उनसे सीखने का हौसला रखें।


युवाओं के लिए प्रेरणा

रूपल राणा की उपलब्धि न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे बागपत और उत्तर प्रदेश के लिए गर्व का विषय है। एक साधारण पुलिसकर्मी की बेटी ने जिस तरह से कठिन परिस्थितियों में भी अपने सपने को हकीकत में बदला, वह लाखों युवाओं को प्रेरित कर रही है।


उनकी कहानी उन लोगों के लिए एक जवाब है, जो मानते हैं कि यूपीएससी (UPSC) जैसी परीक्षा केवल बड़े शहरों या अमीर परिवारों के लिए है। रूपल ने दिखाया कि सही दिशा, मेहनत, और परिवार का साथ हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।


भविष्य की राह

रूपल राणा अब एक IAS अफसर के रूप में देश की सेवा के लिए तैयार हैं। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल उनके गांव बड़ौद का नाम रोशन किया है, बल्कि उन सभी युवाओं के लिए एक मिसाल कायम की है, जो कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानते।


रूपल की कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन की हर चुनौती एक नया अवसर लेकर आती है, और सच्ची सफलता वही है, जो दूसरों को प्रेरित करे। अगर आप भी यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं, तो रूपल की इस प्रेरक कहानी से प्रेरणा लें और अपने सपनों को उड़ान दें।


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