उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां दो सगी बहनों ने अपने ही घर में फंदे से लटककर आत्महत्या (Suicide) कर ली। इस दुखद घटना के पीछे की वजह बताई जा रही है कि पिता ने मोबाइल पर बात करने को लेकर दोनों की पिटाई की थी। यह मामला न केवल परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक गंभीर सवाल खड़ा करता है।
यह हृदयविदारक घटना अंबेडकरनगर के जलालपुर थाना क्षेत्र के मथुरा रसूलपुर गांव की है। शनिवार, 17 मई 2025 की देर शाम, गांव में उस समय हड़कंप मच गया, जब दो सगी बहनों, आंचल और पल्लवी, का शव उनके घर के एक कमरे में पंखे से लटकता पाया गया। दोनों बहनों ने एक ही पंखे से फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। आंचल इंटरमीडिएट की छात्रा थी, जबकि पल्लवी कक्षा दस में पढ़ाई कर रही थी। परिजनों ने जब कमरे में यह भयावह दृश्य देखा, तो उनके होश उड़ गए।
स्थानीय लोगों के अनुसार, इस घटना से पहले पिता ने दोनों बहनों को मोबाइल फोन (Mobile Phone) पर बात करने के लिए कथित तौर पर डांटा और उनकी पिटाई की थी। यह पिटाई इतनी गंभीर थी कि दोनों बहनें मानसिक रूप से टूट गईं और उन्होंने यह आत्मघाती कदम उठा लिया। हालांकि, यह सिर्फ प्रारंभिक जानकारी है, और पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है।
पुलिस की जांच और अन्य पहलूअंबेडकरनगर पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और आत्महत्या के साथ-साथ अन्य संभावित पहलुओं की भी जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि दोनों बहनों की मौत के पीछे पारिवारिक कलह, मानसिक दबाव या कोई अन्य कारण हो सकता है। शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है, और पुलिस परिवार वालों और पड़ोसियों से पूछताछ कर रही है। यह भी जांच की जा रही है कि क्या पिता की पिटाई के अलावा कोई अन्य परिस्थिति थी, जिसने दोनों बहनों को इस कदम के लिए मजबूर किया।
सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलूयह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी है। आज के दौर में मोबाइल फोन और सोशल मीडिया (Social Media) बच्चों और युवाओं के जीवन का अहम हिस्सा बन चुके हैं। माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद की कमी, अत्यधिक सख्ती या शारीरिक दंड अक्सर बच्चों को मानसिक रूप से कमजोर कर देता है। विशेषज्ञों का मानना है कि माता-पिता को बच्चों के साथ खुलकर बातचीत करनी चाहिए और उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए।
इस घटना ने एक बार फिर मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) के महत्व को रेखांकित किया है। किशोरावस्था में बच्चे अक्सर भावनात्मक रूप से संवेदनशील होते हैं, और ऐसी परिस्थितियों में उन्हें सहानुभूति और समर्थन की जरूरत होती है। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए परिवार, स्कूल और समाज को मिलकर काम करना होगा।