भारत की तीनों सेनाओं - आर्मी, एयरफोर्स और नेवी ने 18 से 21 अप्रैल के बीच 'हल्दी घाटी' नामक त्रि-सेवा युद्ध अभ्यास किया। इस अभ्यास का नेतृत्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने किया। इसका मुख्य उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच संचार को बेहतर बनाना और उन्हें एक-दूसरे से बिना किसी रुकावट के संवाद करने में सक्षम बनाना था। जनरल चौहान की यह रणनीति भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान प्रभावी साबित हुई, जब तीनों सेनाओं ने मिलकर ऑपरेशन सिंदूर को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
इस अभ्यास का उद्देश्य एक ऐसा संचार तंत्र विकसित करना था, जिससे आर्मी, एयरफोर्स और नेवी तुरंत और स्पष्टता से संवाद कर सकें। 'हल्दी घाटी' अभ्यास के साथ-साथ भारतीय नौसेना ने अरब सागर में 'ट्रॉपेक्स' नामक एक महत्वपूर्ण थिएटर लेवल रेडिनेस एक्सरसाइज भी की, जिसमें प्रमुख युद्धपोत शामिल थे। इसी दौरान 22 अप्रैल को पहलगाम में एक आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई।
सूत्रों के अनुसार, जनरल अनिल चौहान ने स्थिति की गंभीरता को तुरंत समझा और तीनों सेनाओं के बीच आवश्यक संचार व्यवस्थाओं को सक्रिय किया। इसके साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में एयर डिफेंस सिस्टम को भी तैनात किया गया। 7 मई की रात हमले से पहले संचार व्यवस्था को सुनिश्चित किया गया।
तीनों सेनाओं के कमांड, कंट्रोल और रडार सिस्टम को जोड़कर एक ऐसा नेटवर्क तैयार किया गया, जिससे पाकिस्तान सीमा पर युद्धक्षेत्र की स्पष्ट तस्वीर मिल सकी। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, इन सिस्टम्स ने सेना को पाकिस्तान की प्रतिक्रियाओं को स्पष्ट रूप से देखने और प्रभावी जवाब देने में मदद की।
सूत्रों ने बताया कि 7, 8 और 9 मई को पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए ड्रोन हमलों से निपटने में एक समान संचार प्रणाली और वायु रक्षा नेटवर्क ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तीनों सेनाओं के रडार ने डिफेंस फोर्सेस के हेडक्वार्टर्स तक स्पष्ट तस्वीरें भेजीं, जिससे सेना कमांडरों को वास्तविक समय की स्थिति की जानकारी मिली।