आपके जाने के बाद परिवार को म्यूचुअल फंड मिलेगा या नहीं? जानिए पूरी सच्चाई और प्रोसेस

अगर परिवार का कोई सदस्य अचानक इस दुनिया से चला जाए, तो दुख तो होता ही है, लेकिन उस दर्द के बीच एक और चुनौती सामने आती है- उसके पैसे और निवेशों का क्या होगा? खासकर म्यूचुअल फंड जैसी चीजें, जिनके बारे में सबको जानकारी नहीं होती. आपने कभी सोचा है कि अगर किसी की मौत हो जाए, तो उसके म्यूचुअल फंड्स का क्या होता है? क्या पैसा ऐसे ही फंस जाता है या परिवार वाले आसानी से क्लेम कर सकते हैं? क्या नॉमिनी होने से काम जल्दी हो जाता है या कानूनी प्रोसेस में फंसना पड़ता है? अगर आपके परिवार में किसी के नाम म्यूचुअल फंड्स हैं या आपने खुद निवेश किया है तो यह जानकारी आपके लिए बहुत जरूरी है. हम यहां बताएंगे कि निवेशक की मौत होने के बाद म्यूचुअल फंड्स का क्लेम कौन कर सकता है, प्रोसेस क्या है, कौन-कौन से डॉक्यूमेंट लगते हैं और टैक्स को लेकर आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. म्यूचुअल फंड क्लेम करने का अधिकार तीन तरह के लोगों के पासम्यूचुअल फंड में निवेश करने के बाद यह जरूरी है कि निवेशक यह भी सुनिश्चित करें कि उनके ना होने पर उनका पैसा सही हाथों तक पहुंचे. इसके लिए यह जानना जरूरी है कि म्यूचुअल फंड किसे और कैसे ट्रांसफर होता है. अगर म्यूचुअल फंड जॉइंट अकाउंट में है और पहले होल्डर की मृत्यु अपडेट करवाने पर निवेश खुद-ब-खुद बाकी बचे होल्डर को ट्रांसफर हो जाता है. लेकिन अगर सभी अकाउंट होल्डर की मृत्यु हो जाती है और कोई नॉमिनी है, तो फंड उस नॉमिनी को ट्रांसफर कर दिया जाता है. अगर नॉमिनी नहीं है, तो कानूनी वारिसों को यह निवेश ट्रांसफर किया जाता है. वहीं, अगर अकाउंट किसी एक व्यक्ति के नाम पर था, तो नॉमिनी के होने पर उसे फंड दिया जाएगा. नॉमिनी न होने की स्थिति में कानूनी उत्तराधिकारी फंड के हकदार होंगे. अगर एक से ज्यादा नॉमिनी या वारिस हैं, तो निवेश को एनरोलमेंट डॉक्यूमेंट में दिए गए हिस्से के अनुसार बांटा जाएगा. म्यूचुअल फंड क्लेम के लिए सबसे पहले फंड हाउस से करें संपर्कम्यूचुअल फंड क्लेम करने के लिए सबसे पहले संबंधित फंड हाउस से संपर्क करना होता है. नॉमिनी, जॉइंट अकाउंट होल्डर या कानूनी वारिस को उस म्यूचुअल फंड कंपनी से बात करनी चाहिए जिसमें मृतक ने निवेश किया था. इसके बाद जरूरी डॉक्यूमेंट जमा करने होते हैं. जैसे कि ट्रांसमिशन रिक्वेस्ट फॉर्म, मृतक का मृत्यु प्रमाणपत्र, दावेदार का आधार और पैन कार्ड, बैंक डिटेल्स. अगर कानूनी वारिस क्लेम कर रहे हैं, तो उन्हें अतिरिक्त रूप से इंडेम्निटी बॉन्ड, व्यक्तिगत हलफनामे और वैध वसीयत या उत्तराधिकार प्रमाणपत्र की जरूरत होती है. अगर नॉमिनी नाबालिग है, तो उसका जन्म प्रमाणपत्र और अभिभावक के KYC डॉक्यूमेंट भी देने होते हैं. म्यूचुअल फंड ट्रांसफर पर कोई कैपिटल गेन टैक्स नहींटैक्स की बात करें तो म्यूचुअल फंड ट्रांसफर पर कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता. लेकिन अगर बाद में उन यूनिट्स को बेचा जाता है या डिविडेंड प्राप्त होता है, तो उस पर टैक्स लग सकता है. इसलिए, निवेश करते समय नॉमिनी की जानकारी सही रखना और परिवार को निवेश की डिटेल्स बताना बहुत जरूरी है, ताकि भविष्य में किसी परेशानी का सामना न करना पड़े और उनका आर्थिक भविष्य सुरक्षित रहे.