गोलियों और बमों के बिना, इंडियन कोस्ट गार्ड का यह ऑपरेशन देश और दुनिया के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। 'ऑपरेशन ओलिविया' हर साल हजारों ऑलिव रिडले कछुओं की सुरक्षा के लिए चलाया जाता है। जब ये कछुए ओडिशा के तटों पर अंडे देने आते हैं, तब कोस्ट गार्ड उन्हें तस्करों और तूफानों से बचाने का कार्य करता है।
इंडियन कोस्ट गार्ड का आदर्श वाक्य 'वयं रक्षामः' है, जिसका अर्थ है 'हम रक्षा करते हैं'। यह केवल एक नारा नहीं है, बल्कि इसका कार्य भी इसी सिद्धांत पर आधारित है। थल, जल और वायु सेना की तरह, कोस्ट गार्ड भी समुद्र की सीमाओं की सुरक्षा में सक्रिय रहता है। इस बार, उन्होंने 'ऑपरेशन ओलिविया' के माध्यम से ऑलिव रिडले कछुओं की रक्षा का कार्य संभाला है।
'ऑपरेशन ओलिविया' हर साल नवंबर से मई तक चलता है। इस दौरान, कोस्ट गार्ड समुद्र में गश्त करता है ताकि अवैध मछली पकड़ने या कछुओं को नुकसान पहुंचाने वाले कार्यों को रोका जा सके। इस वर्ष, कोस्ट गार्ड ने 5,387 समुद्री गश्त और 1,768 हवाई निगरानी मिशन किए, जिसके परिणामस्वरूप 366 अवैध मछली पकड़ने वाली नावें पकड़ी गईं।
ओडिशा के गहिरमाथा समुद्र तट और रुशिकुल्या नदी का मुहाना ऑलिव रिडले कछुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हर साल लाखों की संख्या में ये कछुए यहां अंडे देने आते हैं, लेकिन तस्करों और जलवायु परिवर्तन के कारण इनका जीवन संकट में रहता है। 'ऑपरेशन ओलिविया' का उद्देश्य इन कछुओं को सुरक्षित वातावरण प्रदान करना है।
इंडियन कोस्ट गार्ड केवल सख्ती नहीं दिखाता, बल्कि मछुआरों को सहयोगी बनाता है। उन्हें समझाया जाता है कि समुद्री जीवन की रक्षा करना सभी की जिम्मेदारी है। इसके अलावा, 'टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस' (TED) का उपयोग बढ़ाया जा रहा है ताकि मछली पकड़ते समय कछुए जाल में न फंसें। कोस्ट गार्ड कई NGO के साथ मिलकर भी काम कर रहा है, जिससे यह अभियान समुद्री पर्यावरण की रक्षा का एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गया है।