नई दिल्ली। हरियाणा के सोनीपत स्थित अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर खान के बयान की जांच के लिए हरियाणा के डीजीपी को एसआईटी टीम का गठन करने का निर्देश भी दिया है। अदालत ने कहा है कि तीन आईपीएस अधिकारियों जो हरियाणा या दिल्ली से संबंधित नहीं हों, उनको शामिल कर एसआईटी टीम बनाई जाए। इस टीम में एक महिला पुलिस अधिकारी को भी शामिल किया जाए और आईजी रैंक के अधिकारी इसका नेतृत्व करें। सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी टीम के गठन के लिए हरियाणा के डीजीपी को 24 घंटे का समय दिया है।
जस्टिस सूर्यकांत जस्टिस और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने प्रोफेसर खान की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ऑपेशन सिंदूर पर की गई उनकी सोशल मीडिया पोस्ट पर सवाल उठाए और कहा कि ऐसे समय में इस तरह की पोस्ट करने की क्या जरूरत थी? जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, प्रोफेसर खान की पोस्ट को देखकर ऐसा लगता है कि वह युद्ध के विरोध में हैं लेकिन कुछ बातों के दोहरे मतलब हो सकते हैं और यह जांच के बाद ही पता चल सकेगा। कपिल सिब्बल ने प्रोफेसर अली को जमानत दिए जाने की मांग करते हुए कोर्ट को बताया कि उनकी पत्नी 9 महीने की गर्भवती हैं, और ऐसे समय में वह न्यायिक हिरासत में हैं।
सुप्रीम कोर्ट बेंच ने प्रोफेसर खान को अंतरिम बेल देते हुए कहा कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष, ऑपरेशन सिंदूर से संबंधित कोई भी पोस्ट ना करें। अगर ऐसा किया तो इसे अदालत की अवहेलना माना जाएगा और अंतरिम जमानत को स्वत: ही कैंसिंल मान लिया जाएगा। अदालत ने उन्हें सस्ती लोकप्रियता से बचने की सलाह भी दी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर जांच के दौरान एसआईटी को ऐसा लगता है कि प्रोफेसर खान को गिरफ्तार किए जाने करने की आवश्यकता है, तो वह कोर्ट के समक्ष आकर गिरफ्तारी की मांग कर सकती है।
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