कई बार ऐसा होता है कि हम में कुछ महिलाओं को लेट पीरियड्स आने की शिकायत होती है, लेकिन क्या आपको पता है ये कुछ बीमारियों का इशारा हो सकता है. आइए जानते हैं इनके बारे में.
हर महीने महिलाओं में पीरियड्स आना एक बायोलॉजिकल प्रोसेस है, लेकिन जब यह साइकिल अनियमित हो जाए या समय पर न आए, तो चिंता का विषय बन सकता है. डॉ. मनन गुप्ता ( चेयरमैन और एच ओ डी – ऑब्स्टेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी, एलांटिस हेअल्थ्केयर , नई दिल्ली) ने बताया कि पीरियड्स का लेट होना कई बार सामान्य कारणों से हो सकता है जैसे स्ट्रेस , वजन में बदलाव या आप कही ट्रेवल कर रहे हो , लेकिन कई बार यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है.
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1. पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम – PCOS बहुत आम समस्या बन गई है, खासकर टीनएजर्स और कामकाजी महिलाओं में. इसमें ओवरी में छोटी-छोटी गांठ बन जाती हैं जो हार्मोन इम्बैलेंस पैदा करती हैं. इसके कारण पीरियड्स इर्रेगुलर हो जाते हैं, वजन बढ़ता है, चेहरे पर बाल आते हैं और पिंपल्स की समस्या भी होती है.
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2. थायरॉइड – हाइपोथायरायडिज्म या हाइपरथायरॉइडिज्म दोनों ही मेंस्ट्रुअल साइकिल को प्रभावित कर सकते हैं. थायरॉइड ग्लैंड हमारे शरीर के हार्मोन संतुलन को कंट्रोल करता है, और इसकी गड़बड़ी से पीरियड्स लेट या बहुत जल्दी भी आ सकते हैं। कमजोरी, वजन में बदलाव, बाल झड़ना और मूड स्विंग्स इसके लक्षण हो सकते हैं.
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3. प्रोलैक्टिन हार्मोन का असंतुलन: प्रोलैक्टिन एक हार्मोन है जो स्तनपान कराने वाली महिलाओं में पाया जाता है, लेकिन इसकी मात्रा बढ़ जाने से पीरियड्स में देरी हो सकती है. यह पिट्यूटरी ग्लैंड की गड़बड़ी के कारण होता है.
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4.प्री – मेच्युर मेनोपॉज़ – यदि महिला की उम्र 40 से कम है और पीरियड्स लगातार अनियमित हो रहे हैं, तो यह समय से पहले मेनोपॉज़ का संकेत हो सकता है. इसमें हार्मोन उत्पादन कम हो जाता है और प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है.
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5. यूट्रस या एंडोमेट्रियम से जुड़ी समस्याएं- अगर यूट्रस में फाइब्रॉइड्स, एंडोमेट्रियोसिस या कोई इंफेक्शन है, तो यह भी मेंस्ट्रुअल साइकिल को प्रभावित कर सकता है. इन स्थितियों में पीरियड्स में दर्द, अधिक ब्लीडिंग या लंबे गैप देखने को मिल सकते हैं.
अगर आपके पीरियड्स लगातार लेट हो रहे हैं या अनियमित हैं, तो इसे इग्नोर न करें. डॉक्टर से जांच कराएं, ताकि सही कारण का पता चल सके और समय रहते इलाज शुरू हो सके. अनियमित पीरियड्स कई बार अंदरूनी बीमारियों का शुरुआती संकेत होते हैं जिन्हें गंभीरता से लेना जरूरी है.