पंजाब के पटियाला जिले में एक ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का मां काली माता मंदिर है, जिसे पटियाला रियासत के राजाओं ने बनवाया था। यह मंदिर न केवल अपनी प्राचीनता के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके साथ जुड़ी एक खास पौराणिक कथा और धार्मिक रीति-रिवाज भी इसे विशेष बनाते हैं। यहां की पावन ज्योति बंगाल से लाई गई थी, जो मंदिर की धार्मिक गरिमा को और भी बढ़ाती है। आज भी इस मंदिर में भक्त अपनी आस्था के अनुसार बकरे, मुर्गे और शराब चढ़ाते हैं, जो इस जगह की परंपरागत पूजा पद्धति का हिस्सा है।
पटियाला रियासत और मंदिर का इतिहासपटियाला रियासत के राजाओं ने धार्मिक और सांस्कृतिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके शासनकाल में कई मंदिरों और धार्मिक स्थलों का निर्माण हुआ। मां काली माता मंदिर भी उन्हीं के समय का एक अहम धार्मिक स्थल है। बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना के समय बंगाल से मां काली की पवित्र ज्योति लाई गई थी, जिससे इस मंदिर का आध्यात्मिक महत्व और भी बढ़ गया।
यह मंदिर समय के साथ भक्तों का प्रमुख केंद्र बन गया, जहां लोग मां काली की शक्ति और आशीर्वाद पाने के लिए आते हैं। पटियाला रियासत के राजाओं की धार्मिक आस्था और उनकी दूरदर्शिता ने इस मंदिर को एक विशेष पहचान दी।
पवित्र ज्योति और पूजा पद्धतिमंदिर की सबसे बड़ी खासियत इसकी पावन ज्योति है, जो बंगाल से लाई गई थी। बंगाल मां काली की पूजा के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है, और वहां से लाई गई ज्योति इस मंदिर को अलग पहचान देती है। यह ज्योति लगातार जलती रहती है और इसे मां काली की शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
मंदिर में पूजा-पाठ के दौरान बकरे, मुर्गे और शराब चढ़ाने की परंपरा आज भी जारी है। यह प्रथा देवी की प्राचीन पूजा विधि का हिस्सा मानी जाती है, जिसमें भोग और बलिदान के माध्यम से उनकी कृपा प्राप्त की जाती है। हालांकि आधुनिक समय में यह प्रथा विवादित भी होती है, लेकिन यहां के स्थानीय लोग इसे अपनी सांस्कृतिक विरासत के रूप में मानते हैं।
भक्तों की आस्था और मंदिर की विशेषतामां काली माता मंदिर पटियाला के आसपास के इलाकों में गहरी आस्था का केंद्र है। यहां हर दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, जो अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की दुआ करते हैं। खासकर नवरात्रि और दशहरे के दौरान मंदिर में भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है।
मंदिर परिसर में भक्त मां काली की मूरत के सामने दीपक जलाते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और अपने परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना करते हैं। मंदिर की प्राचीनता और यहां की पारंपरिक पूजा विधि ने इसे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान बना दिया है।
निष्कर्षपटियाला रियासत के राजाओं द्वारा स्थापित मां काली माता मंदिर धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत उदाहरण है। बंगाल से लाई गई पवित्र ज्योति और आज भी जारी परंपरागत पूजा पद्धति इसे अनूठा बनाती है। यह मंदिर न केवल श्रद्धालुओं का आस्था स्थल है, बल्कि पंजाब की सांस्कृतिक विरासत का भी अभिन्न हिस्सा है।
यह मंदिर आज भी अपने गौरवशाली इतिहास और धार्मिक महत्व के कारण लोगों के दिलों में विशेष स्थान बनाए हुए है। यहां की अनूठी पूजा प्रथा और पौराणिक कथा हर आने वाले भक्त को एक अलग ही आध्यात्मिक अनुभव देती है, जो मां काली की शक्ति और करुणा का प्रतीक है।