भारतीय भाला फेंक स्टार नीरज चोपड़ा ने पोलैंड के जनुज कुसोचिंस्की मेमोरियल मीट में शुक्रवार को शानदार प्रदर्शन करते हुए जर्मनी के जूलियन वेबर के बाद दूसरा स्थान प्राप्त किया। नीरज भले ही अपनी सर्वश्रेष्ठ स्थिति में नहीं थे, लेकिन उन्होंने अंतिम दौर में 84.14 मीटर की दूरी पर भाला फेंक कर अपनी स्थिति बेहतर की और कांस्य पदक की दौड़ में बने रहे। शुरुआती दौरों में वे तीसरे स्थान पर थे, लेकिन आखिरी प्रयास में उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया, जो उनकी लगन और प्रतियोगिता की कठिनाई को दर्शाता है।
नीरज चोपड़ा का प्रदर्शन और प्रमुख थ्रो
इस आयोजन के दौरान नीरज चोपड़ा लगातार अपनी सर्वश्रेष्ठ फार्म में नहीं दिखे। उनके दूसरे और पांचवें प्रयास 81.28 मीटर और 81.80 मीटर के रहे, जबकि तीन अन्य प्रयास फाउल हो गए, जिससे उनकी शुरुआत कमजोर रही। इसके बावजूद, 27 वर्षीय भारतीय खिलाड़ी ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन अंतिम छठे प्रयास में किया और 84.14 मीटर की दूरी पर भाला फेंककर तीसरे स्थान से दूसरे स्थान पर आ गए। यह प्रतियोगिता सिलेसीयन स्टेडियम में हुई, जहां बारिश के बाद बादल छाए हुए थे, जो खिलाड़ियों के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता था।
जूलियन वेबर, जिन्होंने 16 मई को दोहा डायमंड लीग में नीरज चोपड़ा को 90 मीटर की चुनौती में हराया था, इस बार भी दूसरे दौर में 86.12 मीटर की जोरदार थ्रो के साथ विजेता बने। वेबर का लगातार अच्छा प्रदर्शन उनकी इस समय की वर्चस्वता को दर्शाता है, जबकि नीरज को दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा।
प्रतियोगिता का स्तर और ऐतिहासिक संदर्भ
प्रतियोगिता में ग्रेनाडा के दो बार विश्व चैंपियन एंडरसन पीटर्स भी शामिल थे, जो 83.24 मीटर की सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ तीसरे स्थान पर रहे, ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने दोहा में किया था। नीरज चोपड़ा के लिए यह दुर्लभ मौका था जब उनकी सर्वश्रेष्ठ थ्रो 85 मीटर से नीचे रही, जबकि वे इससे पहले कई बार इस दूरी को पार कर चुके हैं, जिसमें 2024 फेडरेशन कप, भुवनेश्वर में 82.27 मीटर की गोल्ड मेडल थ्रो शामिल है।
नीरज ने हाल ही में दोहा में 90 मीटर की दूरी पार की थी, जहां उनका 90.23 मीटर का थ्रो रिकॉर्ड हुआ, हालांकि वेबर ने अंतिम प्रयास में 91.06 मीटर फेंककर उस प्रतियोगिता को अपने नाम किया। यह प्रतिस्पर्धा दोनों खिलाड़ियों के बीच तीव्र मुकाबले को दर्शाती है, जो नीरज को अपनी तकनीक और स्थिरता सुधारने के लिए प्रेरित करती है ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष सम्मान हासिल कर सकें।
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