वट सावित्री पूजा विधि: घर पर कैसे करें सरलता से
newzfatafat May 25, 2025 06:42 PM
वट सावित्री पूजा विधि का परिचय

वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है, जो विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह व्रत पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए किया जाता है। इस दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है और सावित्री-सत्यवान की कथा का श्रवण किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि वट वृक्ष के बिना भी आप इस पूजा को घर पर आसानी से कर सकती हैं? आइए जानते हैं कि घर पर वट सावित्री व्रत पूजा विधि कैसे करें और इसके लिए किन सामग्रियों की आवश्यकता है।


वट सावित्री व्रत का महत्व

वट सावित्री व्रत का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है। यह सावित्री की भक्ति और समर्पण की कहानी को दर्शाता है, जिन्होंने अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस लाने का साहस दिखाया। यह पूजा न केवल पति की दीर्घायु के लिए होती है, बल्कि परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण है। वट वृक्ष को दीर्घायु और स्थायित्व का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसकी पूजा की जाती है।


पूजा के लिए आवश्यक सामग्री

वट सावित्री पूजा के लिए कुछ सामान्य सामग्री की आवश्यकता होती है, जो आसानी से घर पर मिल जाती हैं। इनमें शामिल हैं: जल, गंगाजल, दूध, हल्दी, रोली, अक्षत, फूल, फल (जैसे केला, आम, नारियल), मिठाई (बूंदी के लड्डू या पेड़ा), धूप, दीपक, और मौली। यदि वट वृक्ष की टहनी उपलब्ध नहीं है, तो आप पीपल या तुलसी के पौधे का भी उपयोग कर सकती हैं। इसके अलावा, सत्तू, गुड़, भीगा चना, या घर पर बनी पूरी और हलवा भी भोग के लिए उपयुक्त हैं।


घर पर वट सावित्री पूजा की विधि

वट सावित्री व्रत पूजा विधि को घर पर करने के लिए निम्नलिखित सरल चरणों का पालन करें:
संकल्प और तैयारी: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। मन में संकल्प लें कि यह व्रत आप अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए कर रही हैं।


पूजा स्थल तैयार करें: यदि वट वृक्ष उपलब्ध नहीं है, तो घर में गमले में मिट्टी डालकर वट की टहनी लगाएं या पीपल/तुलसी के पौधे का उपयोग करें। पूजा स्थल को साफ करें और चौक बनाएं।


वट वृक्ष की पूजा: वृक्ष को जल, दूध, और गंगाजल से स्नान कराएं। हल्दी, रोली, अक्षत, और फूल चढ़ाएं। दीपक और धूप जलाएं।
परिक्रमा और मंत्र जाप: वृक्ष की 7, 11, या 108 बार परिक्रमा करें, हर बार मौली लपेटते हुए पति की दीर्घायु की प्रार्थना करें। “ॐ वट वृक्षाय नमः” मंत्र का जाप करें।


कथा और आरती: सावित्री-सत्यवान की कथा पढ़ें या सुनें। इसके बाद सावित्री माता की आरती करें।


दान और भोग: ब्राह्मण को वस्त्र, फल, और दक्षिणा दान करें। जरूरतमंदों को भोजन कराएं। भोग में सत्तू, गुड़, या मौसमी फल चढ़ाएं।
उपवास समाप्ति: उपवास जल और फल ग्रहण करके तोड़ें।


भोग और प्रसाद की परंपरा

वट सावित्री व्रत में भोग के रूप में सत्तू-गुड़, भीगा चना, पूरी, हलवा, या मिठाई जैसे पेड़ा और लड्डू चढ़ाए जाते हैं। उत्तर भारत में कुछ जगहों पर भीगा मूंग भी भोग के रूप में लोकप्रिय है। ये प्रसाद न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि इन्हें आसानी से तैयार किया जा सकता है।


आधुनिक महिलाओं के लिए सुझाव

आज की व्यस्त जीवनशैली में, यदि आपके पास समय कम है, तो आप घर पर ही छोटे पौधे या गमले में पूजा कर सकती हैं। यह पूजा न केवल सरल है, बल्कि उतनी ही प्रभावी भी है। ध्यान रखें कि पूजा में श्रद्धा और भक्ति सबसे महत्वपूर्ण है।


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