Vat Savitri Vrat 2025: जानें व्रत के दौरान की 5 बड़ी गलतियां
newzfatafat May 25, 2025 09:42 PM
Vat Savitri Vrat 2025: महत्व और तिथि

Vat Savitri Vrat 2025: विवाहित महिलाओं के लिए वट सावित्री व्रत एक महत्वपूर्ण और श्रद्धा से भरा पर्व है। यह व्रत प्रेम, समर्पण और अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। हर वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या को यह व्रत मनाया जाता है। इस साल, वट सावित्री व्रत 26 मई 2025, सोमवार को है, जो इसे विशेष बनाता है क्योंकि यह सोमवती अमावस्या के दिन पड़ रहा है। यह व्रत सत्यवान-सावित्री की पौराणिक कथा पर आधारित है, जिसमें सावित्री ने अपने तप और बुद्धिमत्ता से यमराज को अपने पति का जीवन लौटाने के लिए मजबूर किया था। इस दिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।


व्रत के दौरान की 5 सामान्य गलतियां

इस व्रत का फल तभी मिलता है जब इसे पूरी निष्ठा और नियमों के साथ किया जाए। यहां हम आपको वट सावित्री व्रत के दिन की 5 आम लेकिन महत्वपूर्ण गलतियों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें करने से व्रत का फल निष्फल हो सकता है और आपके वैवाहिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।


तामसिक भोजन से रहें दूर

इस दिन मांस, मछली, प्याज, लहसुन जैसी तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। ये नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते हैं और व्रत की पवित्रता को भंग करते हैं। इस दिन केवल सात्विक भोजन और फलाहार का सेवन करें।


इन रंग के कपड़ों से बचें

व्रत के दिन काले या नीले रंग के कपड़े पहनना अशुभ माना जाता है। ये रंग नकारात्मकता का प्रतीक माने जाते हैं। इसके बजाय लाल, पीला या गुलाबी रंग पहनें, जो सौभाग्य, ऊर्जा और प्रेम का संकेत देते हैं।


न करें कठोर या रूखा व्यवहार

व्रत का भाव सेवा, संयम और प्रेम पर आधारित होता है। इस दिन किसी से झगड़ा करना, कटु भाषा बोलना या अपमान करना शुभ नहीं होता। शांत, सौम्य और श्रद्धा-पूर्ण व्यवहार रखें, विशेष रूप से अपने घर-परिवार के लोगों के साथ।


शरीर और मन की शुद्धता है जरूरी

व्रत का पालन केवल बाहरी नियमों से नहीं, आंतरिक शुद्धता से भी होता है। सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, पूजा से पहले मोबाइल, टीवी आदि से दूरी बनाएं और पूजा के दौरान ध्यान केंद्रित रखें। मानसिक एकाग्रता और श्रद्धा से की गई पूजा ही फलदायी होती है।


पूजा विधि में न करें लापरवाही

व्रत की पूजा में सावधानी रखें। वट वृक्ष की 7 बार परिक्रमा करें, सूत (कच्चा धागा) वृक्ष पर लपेटें और फल, फूल, दीप, रोली, अक्षत आदि से विधिवत पूजन करें। यदि संभव हो तो व्रत कथा भी सुनें या पढ़ें। पूजा के बाद सुहाग सामग्री का दान करना भी शुभ माना जाता है।


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