newzfatafat May 28, 2025 02:42 AM
सुरक्षा में कड़ी वृद्धि

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, जिसका नेतृत्व नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं, को राजधानी ढाका में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के कारण सचिवालय की सुरक्षा को सख्त करने की आवश्यकता महसूस हुई है। मंगलवार को अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया, जब नए सेवा कानून के खिलाफ प्रदर्शन चौथे दिन भी जारी रहे।


सुरक्षा बलों की तैनाती

सचिवालय के प्रवेश द्वारों पर बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB), पुलिस की SWAT इकाई और रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) के कर्मियों को तैनात किया गया है। यह क्षेत्र विभिन्न मंत्रालयों और प्रशासनिक कार्यालयों का केंद्र है, जिससे इसकी सुरक्षा को और अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है।


जनसभाओं पर प्रतिबंध

ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (DMP) ने सचिवालय क्षेत्र में किसी भी प्रकार की जनसभा, विरोध रैली या सार्वजनिक समारोह पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही पत्रकारों और आम नागरिकों को भी परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई है, जिससे सुरक्षा व्यवस्था और भी कड़ी हो गई है।


असंतोष और कानून-व्यवस्था की स्थिति

रिपोर्टों के अनुसार, अंतरिम सरकार के गठन के बाद से देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। लोगों का विश्वास घट रहा है और निर्वाचित सरकार की मांग बढ़ रही है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अस्थायी प्रशासन लोकतांत्रिक प्रक्रिया की अनदेखी कर रहा है, जिससे राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक तनाव बढ़ रहा है।


विवादास्पद कानून का विरोध

विरोध का मुख्य कारण लोक सेवा (संशोधन) अध्यादेश, 2025 है, जिसे हाल ही में राष्ट्रपति द्वारा जारी किया गया है। इस अध्यादेश के तहत सरकार को अधिकार मिला है कि वह कर्मचारियों को विभागीय जांच के बिना केवल कारण बताओ नोटिस के आधार पर बर्खास्त कर सकती है।


सरकारी कर्मचारियों ने इस कानून को "गैरकानूनी और तानाशाहीपूर्ण" बताया है। उन्होंने नारे लगाए जैसे:



  • गैरकानूनी काला कानून खत्म करो

  • हम इसे नहीं मानते

  • 18 लाख कर्मचारी एक साथ

  • केवल संघर्ष, कोई समझौता नहीं


कर्मचारियों का कहना है कि यह अध्यादेश सरकार को निरंकुश शक्ति देता है और इससे प्रशासन में भय का माहौल बनेगा।


संगठनों का सामूहिक विरोध

सचिवालय के सभी कर्मचारी संगठन एकजुट होकर इस कानून के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि जब तक अध्यादेश वापस नहीं लिया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। इसके साथ ही 'जुलाई मंच' नामक छात्र संगठन, जो अंतरिम सरकार के समर्थन में है, ने भी सरकारी कर्मचारियों के विरोध के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। इन दो विपरीत आंदोलनों के कारण राजधानी में तनाव और अस्थिरता बढ़ रही है, जिससे अधिकारी हाई अलर्ट पर हैं।


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