मौसम पूर्वानुमान भारत: भारत ने मौसम की सटीक भविष्यवाणी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। स्वदेशी भारत फोरकास्ट सिस्टम (BFS) की शुरुआत के साथ, देश ने मौसम ट्रैकिंग और पूर्वानुमान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू लिया है। यह प्रणाली न केवल मौसम की सटीक जानकारी प्रदान करेगी, बल्कि आपदा प्रबंधन, कृषि और जल संसाधन प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। आइए, इस नए सिस्टम और जून 2025 के मॉनसून पूर्वानुमान के बारे में विस्तार से जानें.
BFS को दुनिया का सबसे उन्नत मौसम मॉडल माना जा रहा है, जो 6 किलोमीटर के ग्रिड पर कार्य करता है। यह प्रणाली छोटे स्तर पर होने वाले मौसम परिवर्तनों का सटीक अनुमान लगाने में सक्षम है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इससे मौसम विज्ञान के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बनेगा। BFS की मदद से पंचायत स्तर तक मौसम का सटीक अनुमान लगाया जा सकेगा। इससे आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकेगा। इसके लिए 'अर्क' नामक एक शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर की स्थापना की गई है, जो पंचायत स्तर तक मौसम की जानकारी प्रदान करेगा। यह प्रणाली आपदा जोखिम को कम करने, कृषि योजना और लोगों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी.
जून 2025 में मॉनसून का पूर्वानुमान
मौसम विभाग के अनुसार, जून 2025 में देश में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। पूरे मॉनसून सीजन (1 जून से 30 सितंबर) में 106 प्रतिशत बारिश का अनुमान है, जो पिछले पूर्वानुमान (105 प्रतिशत) से अधिक है। विशेष रूप से, मध्य भारत और दक्षिण प्रायद्वीप में सामान्य से अधिक बारिश होगी, जबकि उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य बारिश का अनुमान है। हालांकि, पूर्वोत्तर भारत में बारिश सामान्य से कम रह सकती है। जून में अधिकांश क्षेत्रों में अधिकतम तापमान सामान्य या सामान्य से कम रहेगा, जिससे गर्मी से राहत मिलेगी। हालांकि, न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने के कारण रातें अपेक्षाकृत गर्म रहेंगी.
प्री-मॉनसून में सामान्य से अधिक बारिश
प्री-मॉनसून सीजन में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है। मौसम विभाग का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में बन रहे निम्न दबाव क्षेत्र (लो प्रेशर एरिया) के कारण मॉनसून की गति अगले 3-4 दिनों तक तेज रहेगी। यह किसानों और जल प्रबंधन के लिए सकारात्मक संकेत है.
मॉनसून और कृषि पर प्रभाव
खेती-प्रधान राज्यों में मॉनसून के सामान्य से अधिक रहने की संभावना से किसानों को लाभ होगा। कोर जोन में अधिक बारिश फसलों के लिए अनुकूल होगी। हालांकि, पूर्वोत्तर भारत और प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों में कम बारिश की स्थिति को देखते हुए स्थानीय प्रशासन को जल प्रबंधन पर ध्यान देना होगा.