ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में विदेशी छात्रों के लिए वीज़ा साक्षात्कारों को रोकने और सोशल मीडिया पर उनकी जांच कड़ी करने का फैसला किया है, जो अमेरिकी शिक्षा प्रणाली में एक बड़ा बदलाव है। इस कदम से न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय छात्र असहज हैं, बल्कि शिक्षाविदों और अर्थशास्त्रियों में भी चिंता बढ़ गई है।
विदेशी छात्रों पर नई पाबंदियां
27 मई को, अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट ने दुनिया भर के अपने दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों को निर्देश दिया कि वे छात्र और विनिमय वीज़ा के साक्षात्कार फिलहाल स्थगित करें। साथ ही, सभी अंतरराष्ट्रीय आवेदकों की सोशल मीडिया प्रोफाइल की विस्तृत जांच करने की योजना बनाई गई है।
यह कदम हार्वर्ड विश्वविद्यालय को नए विदेशी छात्रों को दाखिला देने से रोकने के प्रशासनिक फैसले के बाद आया है, जिसे कोर्ट ने फिलहाल रोका हुआ है। इसके अलावा, हजारों विदेशी छात्रों की वैधता रद्द की गई, जिससे कई छात्रों को अमेरिका छोड़ना पड़ा। हालांकि, कुछ मामलों में उनका वैध दर्जा वापस भी किया गया, लेकिन कड़ी शर्तों के साथ।
अमेरिकी विश्वविद्यालयों के लिए आर्थिक खतरे
प्रशासन के अनुसार ये सुरक्षा के लिए ज़रूरी हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अमेरिकी विश्वविद्यालयों को बड़ा आर्थिक नुकसान होगा। 2023-24 के शैक्षणिक सत्र में अमेरिका के 1.1 मिलियन से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्र विभिन्न संस्थानों में पढ़ाई कर रहे थे।
अंतरराष्ट्रीय छात्र अक्सर पूर्ण ट्यूशन फीस देते हैं, जो घरेलू छात्रों को मिलने वाली वित्तीय सहायता का भार कम करता है। उदाहरण के तौर पर, हार्वर्ड का सालाना ट्यूशन करीब $59,000 है, जो बोर्डिंग और रहने के खर्च के साथ लगभग $87,000 हो जाता है। एक अध्ययन के मुताबिक, विदेशी छात्र कुल छात्रों का केवल 4.6% हैं, लेकिन कुल ट्यूशन राजस्व का करीब 28% योगदान करते हैं।
विदेशी छात्रों के जाने से विश्वविद्यालयों की वित्तीय स्थिति कमजोर होगी और उनकी वैश्विक प्रतिस्पर्धा प्रभावित होगी।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर
यह असर केवल शिक्षा संस्थानों तक सीमित नहीं रहेगा। विदेशी छात्र सालाना लगभग $44 बिलियन की आर्थिक गतिविधि पैदा करते हैं—ट्यूशन, आवास, भोजन और अन्य खर्चों के माध्यम से। वे करीब 3,78,000 सीधे नौकरियां भी देते हैं, जहां हर तीन विदेशी छात्र के लिए एक स्थानीय नौकरी बनती है।
खुदरा से लेकर रियल एस्टेट तक कई उद्योगों को इसका असर पड़ेगा, जो विदेशी छात्रों के कारण आर्थिक रूप से सक्रिय रहते हैं।
अमेरिका की सॉफ्ट पावर और वैश्विक प्रभाव पर असर
विदेशी छात्र न केवल शिक्षा लेते हैं, बल्कि अमेरिकी लोकतंत्र और संस्कृति के प्रतिनिधि भी बनते हैं। वे अपनी शिक्षा के अनुभव को अपने देशों में फैलाकर अमेरिका के प्रति सम्मान और समझ बढ़ाते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि कड़े वीज़ा नियम अमेरिका की सॉफ्ट पावर को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जो दशकों से देश की एक मजबूत ताकत रही है। शैक्षणिक नेता बताते हैं कि वैश्विक समुदाय से कटाव से नवाचार, समृद्धि और अंतरराष्ट्रीय सहयोग कमजोर होगा।
वैश्विक शिक्षा में बदलाव के संकेत
विदेशी छात्र पहले ही यूरोप और एशिया के कुछ हिस्सों की ओर रुख कर रहे हैं, जहां अधिक खुलापन और बेहतर अवसर दिख रहे हैं। इससे अमेरिका की वैश्विक शिक्षा की स्थिति कमजोर हो सकती है।
राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता जायज है, लेकिन आलोचक कहते हैं कि ट्रंप प्रशासन के ये सख्त कदम अमेरिकी विश्वविद्यालयों, अर्थव्यवस्था और देश की वैश्विक प्रतिष्ठा पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। सुरक्षा और खुलापन के बीच संतुलन भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा।
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