GDP में गिरावट के बावजूद भारत बना सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, जानें किस सेक्टर ने दिखाई मजबूती और कहां आई सुस्ती

भारत की आर्थिक ग्रोथ इस साल धीमी हो गई है. FY25 में यह सिर्फ 6.5% रही, जो पिछले साल FY24 के 9.2% से काफी कम थी. हालांकि, साल की आखिरी तिमाही में जीडीपी ने थोड़ी तेजी दिखाते हुए 7.4% की ग्रोथ दर्ज की, लेकिन फिर भी यह कोरोना महामारी के बाद सबसे धीमी रफ्तार वाली ग्रोथ रही. हालांकि, सरकार के बड़े अधिकारी इस बात पर भरोसा जताते हैं कि भारत की तेजी से बढ़ने की ताकत अभी भी बरकरार है और देश दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा. पूरे साल की ग्रोथ अनुमान के मुताबिक रही, लेकिन ग्लोबल अनिश्चितताओं के चलते निजी निवेश थोड़ा कम रहा.
मुश्किलों के बावजूद भारत ने अच्छा परफॉर्म किया
जनवरी से मार्च 2025 के बीच की तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था ने सबसे तेज रफ्तार पकड़ी. इस दौरान फैक्ट्रियों में काम तेज हुआ और सरकार ने भी अच्छा खर्च किया, जिससे इकोनॉमी को मजबूती मिली. हालांकि दुनिया में हालात आसान नहीं रहे, अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से टैक्स बढ़ाए गए और रूस-यूक्रेन युद्ध ने भी व्यापार को नुकसान पहुंचाया. तीसरी तिमाही में भी इकोनॉमी ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया था. पहले माना गया था कि भारत की ग्रोथ रेट 5.6% होगी, लेकिन असल में ये 6.2% निकली. इसका मतलब है कि भारत ने मुश्किलों के बावजूद अच्छा परफॉर्म किया. चौथी तिमाही में भी हालात चुनौतीपूर्ण थे, लेकिन गांवों की तरफ से खरीदारी बढ़ी और सरकार ने जरूरी खर्च किए, जिससे इकोनॉमी को सहारा मिला. IMF (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) का कहना है कि अगर सबकुछ ठीक रहा, तो साल के अंत तक भारत जापान को पछाड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है.
6.4% रही GVA ग्रोथ
इस तिमाही में GVA की ग्रोथ 6.4% रही. GDP यानी देश की कुल कमाई, जबकि GVA में टैक्स और सब्सिडी जैसी चीजें नहीं जोड़ी जातीं. इससे असली आर्थिक स्थिति का अंदाजा लगता है.
ग्रामीण मांग और त्योहारों ने बढ़ाई खपत
वित्त वर्ष 2024-25 में आम लोगों की खरीदारी यानी निजी उपभोग खर्च (Private Consumer Spending) में 7.2% की सालाना बढ़त देखी गई, जो पिछले साल 5.6% थी. यह बढ़ोतरी ग्रामीण इलाकों में मांग बढ़ने, खाने-पीने की चीजों के दाम कम होने और त्योहारों के दौरान ज्यादा खर्च की वजह से हुई.
कृषि क्षेत्र की रफ्तार दोगुनी से भी ज्यादा हुई
FY25 में कृषि क्षेत्र की ग्रोथ 4.6% रही, जो पिछले साल 2.7% थी. यानी खेती-किसानी में अच्छी बढ़त देखने को मिली. सिर्फ जनवरी से मार्च वाली तिमाही (Q4FY25) की बात करें, तो कृषि क्षेत्र 5.4% बढ़ा, जबकि एक साल पहले ये ग्रोथ सिर्फ 0.9% थी.
कंस्ट्रक्शन सेक्टर में मजबूती बरकरार
कंस्ट्रक्शन सेक्टर ने FY25 में 9.4% की ग्रोथ दर्ज की. हालांकि ये पिछले साल के 10.4% से थोड़ा कम है, लेकिन तिमाही आधार पर देखा जाए तो Q4FY25 में यह 10.8% बढ़ा, जबकि Q4FY24 में यह ग्रोथ 8.7% थी. यानी चौथी तिमाही में कंस्ट्रक्शन सेक्टर और मजबूत हुआ.
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार धीमी
FY25 में मैन्युफैक्चरिंग (उद्योग) सेक्टर की ग्रोथ 4.5% रही, जबकि पिछले साल यह 12.3% थी यानी इसमें गिरावट आई है. जनवरी-मार्च 2025 की तिमाही (Q4) में यह ग्रोथ 4.8% रही, जबकि Q4FY24 में यह 11.3% थी. इससे साफ है कि उद्योग क्षेत्र में सुस्ती आई है.
भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत तुलनात्मक रूप से बेहतर
कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि इस बार GDP (आर्थिक वृद्धि) के आंकड़े उम्मीद से ज्यादा आए हैं, जिसके पीछे एक कारण यह हो सकता है कि सरकार ने सब्सिडी में कटौती की है. इससे GDP का आंकड़ा बड़ा तो दिखता है, लेकिन असली आर्थिक ग्रोथ उतनी नहीं होती जितनी दिखाई देती है. हालांकि दुनिया भर में आर्थिक चुनौतियां बनी हुई हैं, फिर भी भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत तुलनात्मक रूप से बेहतर है. इसकी बड़ी वजह है – भारत का दुनिया के व्यापार पर कम निर्भर रहना, हाल ही में किए गए टैक्स में कटौती, महंगाई पर नियंत्रण और ब्याज दरों में राहत मिलने की उम्मीद.
ग्लोबल सप्लाई चेन की दिक्कतें और एनर्जी मार्केट की अस्थिरता से भारत तो फायदा
इन्फोमैट्रिक्स वैल्यूएशंस एंड रेटिंग्स लिमिटेड के चीफ इकनॉमिस्ट डॉ. मनोरंजन शर्मा के मुताबिक, 'ग्लोबल सप्लाई चेन की दिक्कतें और एनर्जी मार्केट की अस्थिरता जैसी बाहरी चुनौतियां जरूर हैं, लेकिन भारत को फायदा मिल रहा है. सर्विस सेक्टर की मजबूती, बैंकों की स्थिरता और PLI जैसी सरकारी स्कीम की वजह से मैन्युफैक्चरिंग में बढ़ोतरी हुई है. फरवरी 2025 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पांच साल बाद पहली बार रेपो रेट में 0.25% की कटौती की थी, जिससे आर्थिक ग्रोथ को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
जून में RBI फिर से ब्याज दर कम करने पर कर सकता है विचार
अप्रैल में रिटेल महंगाई घटकर लगभग 6 साल के सबसे निचले स्तर 3.16% पर आ गई है. इसके साथ ही इस बार अच्छे मानसून का अनुमान है, जिससे खाने-पीने की चीजों की कीमतें भी काबू में रहने की उम्मीद है. इन कारणों से RBI जून में फिर से ब्याज दर कम करने पर विचार कर सकता है. RBI ने अनुमान लगाया है कि 1 अप्रैल 2025 से शुरू हुए वित्त वर्ष में भारत की GDP ग्रोथ 6.5% रहेगी. मनोरंजन शर्मा का कहना है कि FY25 में महंगाई (CPI) 4.9% रहने की संभावना है, जो कि FY26 में घटकर 4.3% हो सकती है. इसकी वजह होगी – खाने-पीने की चीजों के दाम में गिरावट, बेहतर मौद्रिक नीतियां और सामान्य मानसून. हालांकि, दुनिया भर में कच्चे तेल और अन्य चीजों की कीमतें बढ़ने और राजनीतिक तनाव बढ़ने से महंगाई का खतरा बना रहेगा.