उज्जैन का हरसिद्धि देवी मंदिर: भक्ति और बलिदान की अद्भुत कथा
newzfatafat May 31, 2025 11:42 AM
हरसिद्धि देवी का रहस्यमय मंदिर

उज्जैन, मध्यप्रदेश की एक प्रमुख धार्मिक नगरी, महाकालेश्वर मंदिर के अलावा हरसिद्धि देवी के मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है। यह स्थान केवल आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि यह कई गूढ़ कथाओं का गवाह भी है, जो भारत के सांस्कृतिक इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। इनमें से एक कथा उज्जैन के महान सम्राट विक्रमादित्य से जुड़ी हुई है, जिनका नाम आज भी विक्रम संवत के रूप में जीवित है और जिनकी भक्ति की मिसालें सदियों से दी जाती रही हैं।


शक्ति और महादेव की संयुक्त पूजा

हरसिद्धि देवी की पूजा से भक्तों को भगवान महादेव और शक्ति की कृपा प्राप्त होती है। देवी हरसिद्धि को माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती के मृत शरीर को लेकर भटक रहे थे, तब भगवान विष्णु ने सती के शरीर को टुकड़ों में काट दिया, और जहां-जहां ये टुकड़े गिरे, वहां शक्तिपीठ बने। उज्जैन में हरसिद्धि मंदिर में माता सती की कोहनी गिरने की मान्यता है।


विक्रमादित्य की अनन्य भक्ति

राजा विक्रमादित्य की हरसिद्धि माता के प्रति भक्ति इतनी गहरी थी कि उन्होंने 12-12 वर्षों के अंतराल पर 11 बार अपना सिर माता को अर्पित किया। हर बार माता की कृपा से उनका सिर पुनः जुड़ जाता था। यह उनकी असाधारण तप और भक्ति का प्रमाण है। लेकिन जब उन्होंने बारहवीं बार बलि दी, तब उनका सिर दोबारा नहीं जुड़ पाया, जो यह संकेत था कि उनका जीवन अब समाप्त हो चुका है और माता ने उन्हें मोक्ष प्रदान किया।


मंदिर में 11 सिरों का रहस्य

हरसिद्धि मंदिर में आज भी एक विशेष स्थान पर 11 सिंदूर लगे मुण्ड रखे हुए हैं। मान्यता है कि ये वही मुण्ड हैं, जो राजा विक्रमादित्य ने माता को अर्पित किए थे। ये मुण्ड उस दिव्य भक्ति और आत्मबलिदान के प्रतीक हैं, जो आज भी श्रद्धालुओं को प्रेरित करते हैं।


हरसिद्धि नाम की कहानी

हरसिद्धि देवी के नाम के पीछे एक दिलचस्प कथा है। कहा जाता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण और यादव वंशज इस देवी की पूजा करते थे। माता को उस समय 'मंगलमूर्ति देवी' कहा जाता था। जब श्रीकृष्ण ने माता की कठोर तपस्या की और जरासंध का वध किया, तब माता प्रसन्न होकर 'हरसिद्धि' नाम से प्रसिद्ध हो गईं। यह नाम आज भी उनकी महिमा का प्रतीक है।


तंत्र साधना का प्रमुख स्थल

हरसिद्धि मंदिर केवल भक्ति का केंद्र नहीं, बल्कि तंत्र साधना का भी एक महत्वपूर्ण स्थल है। मान्यता है कि यहां साधक तंत्र शक्ति की सिद्धि के लिए विशेष साधनाएं करते हैं। यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के पश्चिम में स्थित है, जो उज्जैन को तंत्र और शक्ति उपासना का एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र बनाता है।


निष्कर्ष

राजा विक्रमादित्य और हरसिद्धि माता की यह कथा भक्ति, बलिदान और ईश्वरीय शक्तियों के अद्भुत संगम का प्रतीक है। उज्जैन की यह भूमि केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक रहस्यों से भी भरी हुई है। राजा विक्रमादित्य की अंतिम आत्मबलि और माता की कृपा की यह कथा आज भी श्रद्धालुओं को अपनी आस्था को मजबूत करने और निःस्वार्थ भक्ति की प्रेरणा देती है।


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