नाइजीरिया के नाइजर प्रांत के मोक्वा शहर में बाढ़ के कारण कम से कम 88 लोगों की मौत हो गई। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। नाइजर राज्य की राजधानी मिन्ना में बचाव अभियान कार्यालय के प्रमुख हुसैनी ईसा ने कहा कि कई लोग अब भी फंसे हुए हैं और बचाव कार्य जारी है। पहले की खबरों में कहा गया था कि कम से कम 20 लोगों की मौत हुई है। ईसा ने एपी को बताया, ‘‘मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अब तक 88 शव बरामद किए गए हैं।’’
मोक्वा, एक प्रमुख व्यापारिक शहर है। स्थानीय निवासियों और सरकारी अधिकारियों के अनुसार, कई घंटों तक हुई मूसलाधार बारिश के कारण बाढ़ आई। पानी भर जाने के कारण निकट में एक बांध टूट गया जिससे स्थिति और खराब हो गई। पिछले साल सितंबर में इसी तरह की एक घटना में, नाइजीरिया में भयंकर बाढ़ आने के कारण 30 लोगों की मौत हो गयी थी और लाखों लोग विस्थापित हुए थे। बोको हराम विद्रोहियों के कारण मानवीय संकट और भी गहरा गया था। नाइजीरिया में अक्सर बाढ़ आती है, खासकर नाइजर और बेन्यू नदियों में, जिससे उनके तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोग प्रभावित होते हैं।
गाजा में भयावह हालात, खाद्य वितरण स्थलों पर अराजकतागाजा पट्टी में फलस्तीनियों के लिए अमेरिका और इजरायल समर्थित एक नए फाउंडेशन द्वारा संचालित खाद्य वितरण केंद्रों पर लोगों के भोजन प्राप्त करने के दौरान गुरुवार को फिर अराजकता फैल गई। कई प्रत्यक्षदशियों ने बताया कि राहत सामग्री छीनने के लिए लोगों के बीच धक्का-मुक्की हो गई और इजराइली सैनिकों ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए गोलियां चलाईं।मध्य गाजा में, एसोसिएटेड प्रेस वीडियो में बम से एक वितरण केंद्र के चारों ओर हवा में धुआं फैलता दिखा, और एक इजराइली टैंक के पास से गुजरने पर गोलियों की आवाज सुनाई दी। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि यह इजराइली सैनिक थे जिन्होंने बृहस्पतिवार को केंद्र में आपूर्ति समाप्त होने के बाद फलस्तीनियों की बड़ी भीड़ को हटाने के लिए गोलियां चलाई थीं।
पैर में चोट लगने के कारण बैसाखी पर निर्भर महमूद इस्माइल ने कहा, ‘‘मैं आटे की एक बोरी समेत कुछ अन्य चीजों के लिए आया था।’’ इस्माइल ने कहा कि वह केंद्र तक पहुंचने के लिए मीलों पैदल चले, लेकिन खाली हाथ लौटना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे घर में खाना नहीं है। मैं अपने बच्चों के लिए खाना नहीं जुटा पा रहा हूं।’’ क्षेत्र में तीन वितरण केंद्र संचालित कर रहे ‘गाजा ह्यूमैनटेरीअन फाउंडेशन’ (जीएचएफ) द्वारा इस सप्ताह शुरू की गई राहत आपूर्ति व्यवस्था में उथल-पुथल मची हुई है। संयुक्त राष्ट्र और अधिकतर मानवीय समूहों के विरोध के बावजूद इजराइल ने जीएचएफ को गाजा में खाद्य वितरण का जिम्मा संभालने के लिए नियुक्त किया है।पिछले तीन दिन में, जीएचएफ केंद्रों पर गोलीबारी की खबरें आ रही हैं, और गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई है तथा दर्जनों घायल हुए हैं।
चीन ने दर्जनों देशों के साथ मिलकर नया वैश्विक मध्यस्थता समूह बनायामध्यस्थता-आधारित अंतरराष्ट्रीय विवाद समाधान समूह की स्थापना की चीन की कवायद में शुक्रवार को 30 से अधिक देश शामिल हुए। चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बाद, पाकिस्तान और इंडोनेशिया से लेकर बेलारूस और क्यूबा तक के 30 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने हांगकांग में “अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता संगठन की स्थापना संधि” पर हस्ताक्षर किए, जिससे वे इस वैश्विक संगठन के संस्थापक सदस्य बन गए। विकासशील देशों का यह समर्थन उस वक्त ‘ग्लोबल साउथ’ में चीन के बढ़ते प्रभाव का संकेत देता है, जब भू-राजनीतिक तनाव अपने चरम पर हैं और इनमें आंशिक रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए व्यापार शुल्क ने भी अहम भूमिका निभाई है।
‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है। वांग ने एक समारोह में कहा कि चीन लंबे समय से आपसी समझ की भावना से मतभेदों को निपटाने और बातचीत के माध्यम से आम सहमति बनाने की वकालत करता रहा है, साथ ही उसका लक्ष्य राष्ट्रों के बीच संघर्षों को सुलझाने के लिए “चीनी प्रज्ञता” प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि हांगकांग में मुख्यालय वाले इस निकाय का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान को बढ़ावा देना तथा अधिक सामंजस्यपूर्ण वैश्विक संबंध बनाना है।
बीजिंग ने इस संगठन को मध्यस्थता के माध्यम से विवादों को सुलझाने वाला दुनिया का पहला अंतर-सरकारी कानूनी संगठन बताया है और कहा है कि यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण तंत्र होगा। इसने हांगकांग को एशिया में एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी और विवाद समाधान सेवा केंद्र के रूप में भी स्थापित किया। हांगकांग के नेता जॉन ली ने कहा कि संगठन इस साल के अंत तक अपना काम शुरू कर सकता है। समारोह में संयुक्त राष्ट्र सहित लगभग 50 अन्य देशों और लगभग 20 संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इंडोनेशिया में पत्थर खदान के धंसने से 10 लोगों की मौत, छह अन्य लापताइंडोनेशिया के पश्चिमी जावा प्रांत में शुक्रवार को एक प्राकृतिक पत्थर खदान के धंस जाने से कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई और छह श्रमिक लापता हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।स्थानीय पुलिस प्रमुख सुमारनी ने बताया कि सिरेबोन जिले में खदान के ऊपर का हिस्सा धंस जाने से दो दर्जन से अधिक लोग मलबे में फंस गए तथा बचाव दल ने एक दर्जन घायल लोगों को बाहर निकाला। सुमारनी ने कहा, ‘‘अधिकारी अब भी खदान के धंस जाने के कारण की जांच कर रहे हैं। हम खदान के मालिक और श्रमिकों से पूछताछ कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि पुलिस, आपातकालीन कर्मी, सैनिक और स्वयंसेवक पांच उत्खनन मशीनों की सहायता से शेष बचे श्रमिकों का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन ढीली मिट्टी के कारण बचाव अभियान में दिक्कत आ रही है क्योंकि ऐसी मिट्टी से अधिक भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रवक्ता अब्दुल मुहरी ने एक बयान में कहा कि शुक्रवार को अंधेरा हो जाने के कारण तलाशी अभियान रोक दिया गया और शनिवार तड़के फिर इसे शुरू किया जाएगा, ताकि मलबे में दबे लोगों, तीन उत्खनन मशीनों और छह ट्रकों की तलाश की जा सके। उन्होंने बताया कि शुक्रवार दोपहर तक बचावकर्मियों ने 10 शव निकाले वहीं छह लोगों को गंभीर चोटों के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
दो भारतीय शांति रक्षकों को मरणोपरांत सम्मानित किया गयापिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले सेवा करते हुए अपनी जान गंवाने वाले दो भारतीय शांति रक्षकों को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक दिवस पर मरणोपरांत सम्मानित किया गया। यूएन डिस्एंगेजमेंट ऑब्जर्वर फोर्स (यूएनडीओएफ) में सेवा देने वाले ब्रिगेडियर जनरल अमिताभ झा और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र मिशन (एमओएनयूएससीओ) में कार्य कर चुके हवलदार संजय सिंह को अंतरराष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक दिवस के अवसर पर बृहस्पतिवार को यहां आयोजित एक समारोह में 'डैग हैमरशॉल्ड पदक' से मरणोपरांत सम्मानित किया गया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतननेनी हरीश ने दोनों शांति रक्षकों के परिवार की ओर से महासचिव एंतोनियो गुतारेस से यह सम्मान प्राप्त किया। भारत के स्थायी मिशन ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘दिवंगत शांति रक्षक हमें मानवता की व्यापक और सामूहिक भलाई के लिए किए गए बलिदानों की याद दिलाते हैं। शांति रक्षक दुनिया भर में संकट के समय संयुक्त राष्ट्र का चेहरा बने हुए हैं जो गंभीर रूप से प्रभावित लोगों को शांति और आश्वासन प्रदान करते हैं।’’
भारत ने ब्रिगेडियर झा, हवलदार संजय सिंह और सेवानिवृत्त कर्नल वैभव अनिल काले को याद किया जिन्हें देश ने पिछले वर्ष खो दिया था। भारत संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में वर्दीधारी कार्मिकों का चौथा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। गुतारेस ने 1948 से अब तक जान गंवाने वाले 4,400 से अधिक शांति रक्षकों की स्मृति में पुष्पांजलि अर्पित की और 57 सैनिकों को मरणोपरांत पदक दिए।