– स्वावलंबन की डोर से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेंगी महिला कैदी मीरजापुर, 31 मई . जेल की दीवारें अब सिर्फ कैद की पहचान नहीं रहीं, बल्कि सुधार, स्वास्थ्य और स्वावलंबन की नई इबारत लिख रही हैं. शुक्रवार को जिला कारागार में कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिला, जब जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सोमेन वर्मा ने संयुक्त रूप से जेल का निरीक्षण किया. बैरकों में संवाद, भोजन की गुणवत्ता परखने से लेकर सुरक्षा की गहन जांच की गई. बंदियों से संवाद करते हुए जिलाधिकारी ने उनकी जरूरतों और समस्याओं को सुना और बैरकों की खिड़कियों में मच्छरजाल लगाने के निर्देश दिए.
जिला कारागार में खुला ओपन जिम जिलाधिकारी ने व्यायाम के लिए नवनिर्मित ओपन जिम का फीता काटकर उद्घाटन किया और कहा कि तन को तंदुरुस्त और मन को संयमित रखना सुधार प्रक्रिया का अहम हिस्सा है. यह जिम इसी दिशा में एक मजबूत कदम है.
महिला बंदियों के लिए साड़ी बुनाई का प्रशिक्षण महिला बैरक में निरुद्ध महिलाओं को अब बनारसी साड़ी बुनाई का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. अब जेल की चारदीवारी के भीतर भी बुनाई की करघटों से रोजगार, आत्मनिर्भरता और नई पहचान बुनी जाएगी. डीएम ने कहा कि यह पहल केवल हुनर सिखाने की नहीं, बल्कि आशा और आत्मसम्मान लौटाने की है. जेल अधीक्षक ने बताया कि वर्तमान में कुल 748 बंदी निरुद्ध हैं, जिनमें 29 महिलाएं और 40 किशोर भी शामिल हैं.
जेल से जीवन की नई शुरुआत जिला कारागार अब सिर्फ एक सुधारगृह नहीं, बल्कि नई जिंदगी की प्रयोगशाला बनता जा रहा है. जहां व्यायाम से सेहत सुधरेगी, हुनर से भविष्य संवरेगा और संवाद से आत्मबल जागेगा.
/ गिरजा शंकर मिश्रा