असम के गोलाघाट जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां एक महिला को पुलिस ने बांग्लादेश भेजने के लिए सीमा पर ले जाया, लेकिन उसी समय एजेंसियों को अपनी गलती का एहसास हुआ। इसके बाद, पुलिस ने महिला को उसके घर वापस छोड़ दिया। यह मामला 50 वर्षीय रहीमा बेगम से संबंधित है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, असम में 25 मार्च 1971 के बाद आए बांग्लादेशियों को निर्वासित किया जा रहा है। इसी प्रक्रिया के तहत गोलाघाट पुलिस ने रहीमा बेगम को कुछ सप्ताह पहले गिरफ्तार किया था। उनके वकील ने बताया कि पिछले महीने विदेशी न्यायाधिकरण ने फैसला सुनाया कि बेगम का परिवार 25 मार्च 1971 से पहले भारत में प्रवेश कर चुका है, जो असम में नागरिकता के लिए कट ऑफ डेट है।
सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने सोमवार को कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, उनकी सरकार घोषित विदेशियों को बांग्लादेश भेज रही है। शुक्रवार शाम को गोलाघाट के पदुमोनी गांव में बेगम ने आरोप लगाया कि उन्हें मंगलवार रात को कुछ लोगों के साथ बांग्लादेश भेज दिया गया।
बेगम ने बताया कि 25 मई की सुबह करीब 4 बजे पुलिस उनके घर आई और थाने आने के लिए कहा। थाने पहुंचने पर उन्हें पूरे दिन वहां रखा गया और शाम को एसपी ऑफिस ले जाया गया। वहां पर उनके फिंगर प्रिंट लिए गए। इसके बाद उन्हें एक वाहन में ले जाया गया, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उन्हें कहां ले जाया जा रहा है।
महिला ने आगे बताया कि उन्हें कुछ कारों में बैठाकर सीमा के पास ले जाया गया। सुरक्षा बलों ने उन्हें बांग्लादेशी मुद्रा दी और सीमा पार करने के लिए कहा। जब वे बांग्लादेश में पहुंचे, तो वहां के सुरक्षाबलों ने उनके साथ मारपीट की और वापस जाने को कहा। इसके बाद, वे पूरे दिन धान के खेतों में खड़े रहे। अंततः, बीएसएफ कर्मियों ने उन्हें अपने साथ ले जाकर कोकराझार पहुंचाया और फिर गोलाघाट वापस लाए।