एयर इंडिया ने हाल के कूटनीतिक तनावों के चलते तुर्की की कंपनी टर्किश टेक्निक से अपने वाइड-बॉडी विमानों के रखरखाव का कार्य वापस लेने का निर्णय लिया है। एयर इंडिया के सीईओ और एमडी कैंपबेल विल्सन ने रविवार को जानकारी दी कि कंपनी अब अपने विमानों के मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल (MRO) कार्य अन्य अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को सौंपने की योजना बना रही है। यह कदम भारत और तुर्की के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर उठाया गया है।
भारत और तुर्की के बीच तनाव तब बढ़ा जब तुर्की ने मई में भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' आतंकवाद-विरोधी कार्रवाई की आलोचना की और पाकिस्तान का समर्थन किया। इसके जवाब में भारत सरकार ने कड़े कदम उठाए। 15 मई को विमानन सुरक्षा नियामक BCAS ने राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर तुर्की की ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी सिलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का सुरक्षा मंजूरी प्रमाणपत्र रद्द कर दिया। इसके अलावा, 30 मई को DGCA ने इंडिगो को तुर्किश एयरलाइंस के दो बोइंग 777 विमानों के डैंप लीज को समाप्त करने के लिए 31 अगस्त तक की अंतिम समय सीमा दी।
एयर इंडिया का दृष्टिकोण
कैंपबेल विल्सन ने एक साक्षात्कार में कहा कि वैश्विक विमानन प्रणाली जटिल है, और बदलती परिस्थितियों में समायोजन में समय लगता है। उन्होंने कहा, "हम राष्ट्रीय भावनाओं और अपेक्षाओं के प्रति संवेदनशील हैं। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि देश की इच्छाओं के अनुसार कार्य किया जाए।" विल्सन ने बताया कि एयर इंडिया अब टर्किश टेक्निक पर निर्भरता कम करने और अपने विमानों का रखरखाव अन्य देशों में करने की योजना बना रही है।
नई योजना का विवरण
एयर इंडिया के बोइंग 777 और 787 जैसे बड़े विमानों का रखरखाव वर्तमान में टर्किश टेक्निक की सुविधाओं में हो रहा है। लेकिन अब कंपनी मध्य पूर्व, दक्षिण-पूर्व एशिया और अमेरिका जैसे क्षेत्रों में मौजूद अन्य MRO सुविधाओं का उपयोग करेगी। विल्सन ने कहा, "हम हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए अपनी योजनाओं में बदलाव करेंगे। कुछ समय के लिए कुछ विमान विदेशों में रखरखाव के लिए जाएंगे, लेकिन हम धीरे-धीरे भारत में भी ऐसी सुविधाएं बढ़ाने पर काम कर रहे हैं।"
एयर इंडिया का बेड़ा
एयर इंडिया के पास वर्तमान में 191 विमानों का बेड़ा है, जिसमें 64 बड़े विमान शामिल हैं। कंपनी का लक्ष्य है कि वह अपने रखरखाव कार्यों को अधिक आत्मनिर्भर बनाए और भविष्य में विदेशी कंपनियों पर कम निर्भर हो।