IMF के बाद Pakistan को ADB से मिले 800 मिलियन डॉलर, भारत का विरोध, कहा- आतंकी साजिशों पर करेगा खर्च
Webdunia Hindi June 05, 2025 01:42 AM

एशियाई विकास बैंक (ADB) ने पाकिस्तान के लिए 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर के बेलआउट पैकेज को मंज़ूरी दे दी है। भारत के विरोध के बावजूद ADB ने ये कदम उठाया है। भारत का कहना है कि एडीबी और अन्य आतंक संस्थाओं से मिलने वाले लोन का उपयोग पाकिस्तान अपने देश के विकास के बजाय आतंकवाद और सैन्य खर्चों के लिए कर सकता है। इससे पहले पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी करीब 8,500 करोड़ रुपए का बेलआउट पैकेज जारी किया था।

भारत ने बहुपक्षीय संस्थानों से पाकिस्तान को मिलने वाली राशि आतंकवाद के वित्तपोषण और रक्षा क्षेत्र में इस्तेमाल किए जाने को लेकर चिंता जताते हुए एशियाई विकास बैंक (ADB) से पड़ोसी देश को दी जाने वाली किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता पर कड़ा विरोध जताया है। एडीबी ने हाल ही में पाकिस्तान के लिए 80 करोड़ डॉलर के आर्थिक पैकेज को मंजूरी दी है। यह राशि पाकिस्तान की राजकोषीय स्थिति को मजबूत करने और सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन में सुधार के लिए दी जा रही है।

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वित्त मंत्री के सलाहकार खुर्रम शहजाद ने एक बयान में इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि कुल राशि में 30 करोड़ डॉलर का नीति-आधारित ऋण और 50 करोड़ डॉलर की कार्यक्रम-आधारित गारंटी शामिल है। आधिकारिक सूत्र ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान के बढ़ते रक्षा व्यय, उसके घटते कर-जीडीपी अनुपात और वृहद-आर्थिक सुधारों में प्रगति की कमी को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान को एडीबी से मिलने वाले संसाधनों के संभावित दुरुपयोग को लेकर गहरी चिंता जताई है।

सूत्र के मुताबिक, भारत ने उम्मीद जताई है कि एडीबी वांछित नतीजे हासिल करने के लिए नीतियों के कार्यान्वयन पर करीबी नजर रखेगा। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के हिस्से के रूप में पाकिस्तान का कर संग्रह वित्त वर्ष 2017-18 में 13 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2022-23 में 9.2 प्रतिशत रह गया है जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र के औसत 19 प्रतिशत से काफी कम है। दूसरी तरफ, इसी अवधि में इसके रक्षा खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

सूत्र ने कहा कि ये आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान को विशेष रूप से जो राशि नीति-आधारित कर्ज (पीबीएल) के रूप में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से मिलती है, उसका उपयोग विकास कार्यों की जगह रक्षा व्यय बढ़ाने में किया जाता है।’’

पाकिस्तान के आर्थिक मामलों में सेना का दखल बढ़ा है। दूसरी तरफ उसके विभिन्न कार्यक्रमों के क्रियान्वयन का ‘ट्रैक रिकॉर्ड’ अच्छा नहीं है। इससे नीतिगत चूक और सुधारों की स्थिति बिगड़ने का जोखिम है। पूर्व में भी ऐसा देखने को मिला है। यहां तक कि नागरिक सरकार के सत्ता में होने पर भी सेना घरेलू राजनीति में एक बड़ी भूमिका निभाती है और अर्थव्यवस्था में अपनी पैठ बढ़ाती है।

सूत्र ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान की मौजूदा शासन प्रणाली को लेकर भी कड़ी आपत्ति जताई है, जो क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए लगातार गंभीर खतरा बनी हुई है। सीमापार आतंकवाद को बढ़ावा देने की इसकी नीति ने क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति को खराब कर दिया है और पाकिस्तान के लिए व्यापक आर्थिक जोखिम को काफी हद तक बढ़ा दिया है, जिससे एडीबी के लिए भी उद्यम जोखिम बढ़ गया है।

भारत ने वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की सिफारिशों को लागू करने में पाकिस्तान के ढीले रुख को भी सामने रखा है। सूत्र ने कहा कि आतंकवाद के वित्तपोषण की जांच और संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी सरगनाओं के अभियोजन और आपराधिक संपत्तियों को जब्त करने के मामले में प्रगति असंतोषजनक है।

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इसके अलावा, पिछले कई वर्षों में पाकिस्तान में नीतिगत सुधार मुख्य रूप से एडीबी सहित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से बाहरी समर्थन द्वारा संचालित किए गए हैं। बाहरी समर्थन पर बहुत अधिक निर्भरता स्थानीय स्वामित्व को कमजोर करती है और निर्भरता का एक चक्र बनाती है। इनपुट भाषा Edited by: Sudhir Sharma

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