Ayurveda and Smoking: धूम्रपान छोड़ना है मुश्किल? आयुर्वेद विशेषज्ञ से जानिए इस लत से छुटकारा पाने के असरदार उपाय – जरूरी खबर
sabkuchgyan June 05, 2025 11:25 PM

Ayurveda and Smoking की चर्चा तब और प्रासंगिक हो जाती है जब बात आती है इस हानिकारक आदत से स्थायी रूप से छुटकारा पाने की। धूम्रपान केवल शारीरिक नुकसान नहीं करता बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। आयुर्वेद इस समस्या को जड़ से समझकर उसका उपचार करता है, जो न केवल लक्षणों पर बल्कि कारणों पर भी ध्यान केंद्रित करता है। वात-पित्त-कफ का असंतुलन, मानसिक तनाव, और निकोटीन पर निर्भरता – इन सभी का इलाज आयुर्वेद में मौजूद है।

यह भी देखें: सूखी खांसी से राहत चाहिए? अपनाएं ये 3 घरेलू उपाय – तुरंत मिलेगा आराम और शरीर को भी होंगे जबरदस्त फायदे

तनाव को नियंत्रित कर धूम्रपान की इच्छा को कम करें

धूम्रपान की लत अक्सर मानसिक अस्थिरता और तनाव से जुड़ी होती है। आयुर्वेद में अश्वगंधा (Ashwagandha) को एक उत्कृष्ट तनाव निवारक माना गया है। यह मन को शांत करता है और मस्तिष्क को निकोटीन से परे सोचने की क्षमता देता है। यही कारण है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा में मानसिक संतुलन को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे धूम्रपान की बुनियादी आवश्यकता ही समाप्त हो जाती है।

तुलसी, मुलेठी और अजवाइन कैसे हैं उपयोगी

धूम्रपान छोड़ने की प्रक्रिया में शरीर से निकोटीन के विष को बाहर निकालना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए तुलसी (Tulsi) की पत्तियों को चबाना अत्यधिक प्रभावी पाया गया है, जो शरीर को शुद्ध करती हैं और cravings को कम करती हैं। वहीं मुलेठी (Licorice) फेफड़ों की सफाई में मदद करती है और गले की जलन से राहत देती है। अजवाइन (Ajwain) भी धूम्रपान की इच्छा को नियंत्रित करने में उपयोगी साबित होती है।

यह भी देखें: Bone Health: हड्डियों को मजबूत और हेल्दी बनाने के लिए इन Calcium-rich फूड्स को करें डाइट में शामिल!

पंचकर्म और नस्य कैसे करती हैं शरीर का शुद्धिकरण

आयुर्वेद में पंचकर्म (Panchakarma) एक प्रमुख उपचार है जो शरीर के भीतर जमे हुए विष को निकालने में सहायक होता है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत कई चरण होते हैं जो धीरे-धीरे शरीर को डिटॉक्स करते हैं। इसके अतिरिक्त नस्य (Nasya), जिसमें औषधीय तेलों या जड़ी-बूटियों का सेवन नाक से कराया जाता है, मस्तिष्क और स्नायु तंत्र को शांत करता है। इन उपचारों से धूम्रपान की लत को मानसिक और शारीरिक रूप से समाप्त करने में सहायता मिलती है।

प्राणायाम और ध्यान से मिलेगी मानसिक स्थिरता

प्राचीन योग विज्ञान में प्राणायाम (Pranayama) और ध्यान (Meditation) का विशेष महत्व है। बस्त्रिका और अनुलोम-विलोम जैसे अभ्यास न केवल फेफड़ों की क्षमता बढ़ाते हैं, बल्कि मन को भी स्थिर करते हैं। जब मन स्थिर होता है, तब cravings स्वतः कम हो जाती हैं। नियमित योग और ध्यान से धूम्रपान की आवश्यकता धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है।

आहार आहार

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से आहार का सीधा संबंध मानसिक और शारीरिक स्थिति से होता है। सात्विक आहार – जिसमें ताजे फल, सब्जियाँ, और सुपाच्य भोजन शामिल होते हैं – शरीर को हल्का और ऊर्जावान बनाए रखता है। इससे धूम्रपान के दुष्प्रभाव से जल्दी उबरने में मदद मिलती है और यह आदत धीरे-धीरे शरीर से विलीन हो जाती है।

यह भी देखें: सफेद दाग में भूलकर भी न खाएं ये चीजें! वरना बढ़ सकता है दाग और त्वचा को होगा बड़ा नुकसान

© Copyright @2025 LIDEA. All Rights Reserved.