घाघरा-चोली में पत्नी की लाश! पति की निकली चीख, बोला- गीता ये तूने क्या किया; फिर रेलवे स्टेशन से मिला ऐसा क्लू, पलट गई कहानी
Samachar Nama Hindi June 06, 2025 01:42 AM

गुजरात के पाटन जिले में बीते दिनों मिला एक अधजला शव पूरे इलाके में सनसनी फैलाने वाला बन गया था। शव घाघरा और चोली पहने हुए था, जिसे देखकर पहले तो लोगों ने इसे महिला की आत्महत्या मान लिया, लेकिन जब पुलिस ने जांच शुरू की तो एक चौंकाने वाली साजिश सामने आई। इस रहस्यमयी हत्याकांड के पीछे कोई और नहीं बल्कि गांव की ही 23 वर्षीय शादीशुदा युवती गीता और उसका प्रेमी भरत निकला।

अधजले शव की पहचान से खुली परतें

घटना पाटन जिले के जाखोत्रा गांव की है। 27 मई को एक अधजला शव गांव के पीछे मिला, जो घाघरा-चोली में लिपटा हुआ था और पैरों में पायल भी पहन रखी थी। शव की स्थिति देखकर मृतक की पहचान करना मुश्किल हो गया था, लेकिन कपड़ों के आधार पर गीता के पति सुरेश गेंगा भीमा को लगा कि यह उसकी पत्नी गीता की लाश है। उसने तुरंत पुलिस को सूचना दी और शुरू में मामला आत्महत्या का माना गया।

पोस्टमार्टम में निकली सच्चाई

शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया, जहां से सच्चाई सामने आई कि मृत व्यक्ति महिला नहीं बल्कि एक 56 वर्षीय दलित मजदूर हरजी देभा सोलंकी था, जो वौवा गांव का रहने वाला था। जब यह जानकारी सामने आई तो पूरे गांव में सनसनी फैल गई और मामले ने नया मोड़ ले लिया।

गीता और भरत की साजिश

पुलिस जांच में सामने आया कि गीता पहले से शादीशुदा है और एक 3 साल की बच्ची की मां भी है। लेकिन वह अपने प्रेमी भरत लुभाअहिर के साथ जोधपुर भागने की योजना बना रही थी। गीता चाहती थी कि लोग समझें कि वह मर चुकी है, ताकि कोई उसे खोजे नहीं। इसके लिए उसने एक हैरान कर देने वाली साजिश रची।

ऐसे रचा गया अपराध

गीता और भरत ने गांव के ही 56 वर्षीय हरजी सोलंकी को शराब पिलाकर बेहोश किया। फिर उसे मारकर गीता के कपड़े—नारंगी-बैंगनी घाघरा-चोली और पायल पहनाई, ताकि शव को देखकर लगे कि गीता ने आत्महत्या कर ली है। इसके बाद शव को जला दिया गया और दोनों मौके से फरार हो गए।

ट्रेन पकड़ने से पहले गिरफ्तार

पुलिस को जैसे ही साजिश की भनक लगी, उन्होंने दोनों की तलाश शुरू कर दी। 28 मई की सुबह 4 बजे पुलिस ने पालनपुर रेलवे स्टेशन से गीता और भरत को गिरफ्तार कर लिया, जब वे जोधपुर भागने के लिए ट्रेन पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। पूछताछ में दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया।

जातिगत तनाव की आशंका थी

शव मिलने के बाद, चूंकि मृतक दलित समाज से था और कपड़ों के कारण पहले महिला माना गया, तो गांव में जातिगत तनाव की आशंका भी पैदा हो गई थी। लेकिन पुलिस की त्वरित जांच और सच्चाई के खुलासे से स्थिति संभाल ली गई।

समाज को सोचने पर मजबूर करने वाली वारदात

यह वारदात न केवल एक जघन्य अपराध है, बल्कि समाज के नैतिक ढांचे पर भी सवाल खड़े करती है। प्रेम के नाम पर एक निर्दोष बुजुर्ग की हत्या, खुद को मृत दिखाने की सनक और फिर भागने की योजना — यह दर्शाता है कि इंसानी रिश्ते और भावनाएं कैसे स्वार्थ की बलि चढ़ रही हैं। अब देखना होगा कि कानून इन दोनों दोषियों को क्या सजा देता है और मृतक को कब न्याय मिलता है।

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