आरबीआई MPC बैठक: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा आज (6 जून 2025) सुबह 10 बजे मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। फरवरी और अप्रैल की तरह, इस बार भी रेपो रेट में कटौती की उम्मीद की जा रही है। यदि ऐसा होता है, तो यह लगातार तीसरी बार होगी जब रेपो रेट में कमी की जाएगी, जिससे आम जनता को लाभ होगा और लोन की मांग में वृद्धि होगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती हो सकती है, जिससे यह 5.75 फीसदी पर आ जाएगा। हालांकि, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक रिपोर्ट में 50 आधार अंकों की बड़ी कटौती का सुझाव दिया गया है। रेपो रेट में कमी से बैंकों की उधारी दरें घटेंगी, जिससे खुदरा और कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं के लिए ईएमआई कम होगी। भारत में विकास और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की जा रही है, और इस संदर्भ में RBI से 25 आधार अंकों की कटौती की संभावना जताई जा रही है।
MPC में RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा, डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव और कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन शामिल हैं। बाहरी सदस्यों में नागेश कुमार, श्री सौगत भट्टाचार्य, और प्रोफेसर राम सिंह शामिल हैं।
रेपो रेट वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को कर्ज देता है। यदि रेपो रेट बढ़ता है, तो बैंकों को महंगी दर पर कर्ज मिलेगा, जिससे कर्ज महंगा हो जाएगा। वहीं, यदि रेपो रेट में कटौती होती है, तो लोन की ईएमआई कम हो जाएगी और होम लोन तथा कार लोन सस्ते होंगे।
रिवर्स रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंक रिजर्व बैंक को कर्ज देते हैं। बैंक अक्सर अपनी अतिरिक्त नकदी रिजर्व बैंक को देना पसंद करते हैं, क्योंकि इससे उन्हें ब्याज मिलता है और धन सुरक्षित रहता है।
कैश रिजर्व अनुपात वह हिस्सा है जो बैंकों को अपनी जमा राशि का केंद्रीय बैंक के पास रखना होता है। यदि CRR बढ़ाया जाता है, तो बैंकों को अधिक राशि रिजर्व बैंक के पास रखनी होगी, जिससे बाजार में पूंजी का प्रवाह कम हो जाएगा।
SLR के तहत, बैंकों को अपनी जमा राशि का एक निश्चित हिस्सा अनिवार्य रूप से सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करना होता है।